नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी का माना जाता है और इस दिन उनकी की पूजा की जाती है। माता की उपासना मानव जीवन में अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष इन सभी फलों की प्राप्ति करती है । सभी प्रकार के रोग खत्म होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी होती है । आपको माता कात्यायनी के व्रत और पूजन के बारें में बताते हैं । माता कात्यायनी का श्रृंगार पीले रंग से करना चाहिए और भक्तों को इस दिन लाल रंग पहनना चाहिए ।
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पूजा विधि :-
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान फिर उसके बाद घट का पूजन करें । जल छिड़के और रोली और अक्षत से पूजन करने के बाद फूल माला चढ़ायें । ऐसे ही नवग्रहों का पूजन और उसके बाद माता का पूजन करें । घी का दीपक जलायें और व्रत कथा को पढ़ें ,उसके बाद आरती करें । माता कात्यायनी की सच्चे मन से आराधना भक्तों के सभी पापों को हर लेती है । जिन लोगों के विवाह में विलम्ब हो रहा हो उन्हें माता कात्यायनी का पूजन करना चाहिए इससे उनका विवाह जल्दी हो जाता है और वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानी भी दूर हो जाती है । पूजा के बाद इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें "एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम्,पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोस्तुते"
व्रत कथा :-
प्राचीन समय में महर्षि कात्यायन ने माता भगवती की कठिन तपस्या की। वह माता को अपनी पुत्री के रूप में चाहते थे । मां भगवती उनकी तपस्या से खुश हुई और उन्होंने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया । महर्षि कात्यायन की पुत्री का नाम कात्यायनी रखा । माता कात्यायनी वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। माता कात्यायनी के पूजन की एक मान्यता प्रचलित है , भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी । माता कात्यायनी को सूजी का हलवा और पंचमेवे का भोग लगाना चाहिए यह उन्हें बहुत ही प्रिय है ।