Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language


English


A

Anonymous

digital marketer | पोस्ट किया | ज्योतिष


स्कंदमाता की पूजा विधि और इस व्रत के महत्व को बताओ ?


2
0




Blogger | पोस्ट किया


नवरात्री के पांचवें नवरात्रे स्कंदमाता का पूजन होता है । नवरात्रि के पंचमी में मां स्कंदमाता के पूजन की मान्यता है। स्कन्दमाता की पूजा मानव जीवन में अपार ज्ञान की प्राप्ति के लिए होता है। कार्तिकेय को स्कंद नाम से जाना जाता है और कार्तिकेय की माता होने के कारण देवी पार्वती को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है । स्कंदमाता को धैर्य की देवी भी कहते हैं और इनका पूजन "पद्मासन देवी" के नाम से भी किया जाता है क्योकिं यह देवी कमल पर विराजमान और ध्यानमग्न स्थिति में बैठती हैं । स्कन्दमाता का श्रृंगार नीले रंग से करना चाहिए और भक्तों को इस दिन सफ़ेद रंग धारण करना चाहिए ।


Letsdiskuss (IMAGE - newsstate )


पूजा विधि :-

सबसे पहले घट का पूजन करना चाहिए उसके बाद नवग्रह का पूजन और सभी देवी देवताओं का ध्यान करें । स्कन्द माता की पूजा के समय उनके मंत्र करना शुभ होता है। घी के दीपक और धुप से उनकी आरती करें और इसके बाद उनकी कथा पढ़ें और भोग लगा कर पूजा संपन्न करने से भक्तों को देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है । पूजन के समय इस मंत्र का जाप 108 करना चाहिए "सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया,शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी"
व्रत कथा :-
इंद्र देव कार्तिकेय को परेशान कर रहे थे, तब माता पार्वती को बहुत गुस्सा आया । उनका उग्र रूप चार भुजा और शेर पर शवारी वाला था और उन्होंने कार्तिकेय को गोद में उठा लिया। इसके बाद इंद्र समेत सभी देवताओं ने मां की स्कंदमाता के क्रोध को शांत करने के लिए उनकी आराधना की। स्कन्द माता का रूप अपने बच्चों की रक्षा के लिए है । स्कन्द माता की आराधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है और बच्चों को कभी किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होता । स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए और केला दान में देना चाहिए ।



1
0

');