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ऑस्ट्रेलिया सरकार ने अपने श्रम कानूनों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो कार्यकर्ता अधिकारों, श्रमिकों की सुरक्षा, और व्यापारिक अनुशासन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे। "वर्किंग लॉ बिल" (Working Laws Bill) या "Fair Work Legislation" को लेकर जो बदलाव किए गए हैं, उनका उद्देश्य श्रमिकों की जीवनशैली, उनके रोजगार की स्थिति और कार्यस्थल पर उनके अधिकारों को सुरक्षित करना है। इस लेख में हम इस बिल के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि ऑस्ट्रेलिया के श्रमिकों पर इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में वर्किंग लॉ (श्रम कानून) पहले से ही एक मजबूत संरचना पर आधारित थे, लेकिन इन कानूनों को आधुनिक युग की जरूरतों के अनुसार अपडेट किया गया है। नए वर्किंग लॉ बिल का प्रमुख उद्देश्य कार्यस्थल पर समानता, सुरक्षा, और उचित मुआवजा सुनिश्चित करना है। इस बिल के तहत न केवल श्रमिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का ध्यान रखा जाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कामकाजी परिस्थितियों में सुधार हो और श्रमिकों को उनके काम के लिए उचित सम्मान और भुगतान मिले।
इस कानून को "Fair Work Legislation" के तहत लागू किया गया है, जिसे 2009 में "Fair Work Act" के रूप में पारित किया गया था, और अब इसे और अधिक प्रभावी और श्रमिकों के पक्ष में अनुकूल बनाने के लिए संशोधित किया गया है।
नए वर्किंग लॉ बिल के तहत, श्रमिकों को कामकाजी सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
मूल अधिकार: श्रमिकों को कामकाजी परिस्थितियों में किसी भी प्रकार के शोषण, भेदभाव, और उत्पीड़न से बचाने के लिए कड़े प्रावधान हैं। बिल के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि श्रमिकों को न केवल उचित वेतन मिले, बल्कि उन्हें उनके काम के घंटों, अवकाश और कार्यस्थल पर सम्मानजनक व्यवहार भी मिले।
समान वेतन: नए बिल में पुरुष और महिला कर्मचारियों के लिए समान वेतन की गारंटी दी गई है। इसके तहत, जो श्रमिक समान प्रकार का काम करते हैं, उन्हें समान वेतन मिलेगा, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो।
सेफ्टी और हेल्थ: वर्कप्लेस में सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाएगी। कार्यस्थल पर श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण और उचित कामकाजी वातावरण प्रदान किया जाएगा। इस कानून के तहत कार्यस्थल पर स्वास्थ्य संबंधी निगरानी और सुरक्षा को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं।
ठेका श्रमिकों के अधिकार: ठेके पर काम करने वाले श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नए बिल में प्रावधान किए गए हैं, ताकि उन्हें स्थायी श्रमिकों के समान अधिकार मिलें।
किसी भी कार्यस्थल पर काम करने का समय और ओवरटाइम बहुत अहम भूमिका निभाता है। नए वर्किंग लॉ बिल के तहत, काम के घंटे निर्धारित किए गए हैं ताकि श्रमिकों के जीवन और काम के बीच संतुलन बना रहे।
मानक कार्य घंटे: ऑस्ट्रेलिया में सामान्य कार्य सप्ताह 38 घंटे निर्धारित किया गया है। हालांकि, ओवरटाइम (अतिरिक्त काम) के लिए भी प्रावधान हैं, और यह सुनिश्चित किया गया है कि श्रमिकों को अतिरिक्त काम करने के लिए उचित मुआवजा मिले।
ओवरटाइम मुआवजा: ओवरटाइम के घंटे जो श्रमिकों द्वारा काम किए जाते हैं, उन्हें अतिरिक्त भुगतान के रूप में मुआवजा मिलेगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी श्रमिक अधिक काम के कारण शोषित न हो।
फ्लेक्सिबल वर्किंग: नए कानून के तहत, श्रमिकों को उनके परिवारिक और व्यक्तिगत जीवन को ध्यान में रखते हुए लचीले कार्य घंटे की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाएगी। इस कदम से विशेष रूप से महिलाओं और माता-पिता के लिए कामकाजी जीवन को संतुलित करना आसान होगा।
नए वर्किंग लॉ बिल के तहत, कार्यस्थल पर श्रमिकों को असंगत या अनुचित तरीके से नौकरी से निकालने के खिलाफ सुरक्षा दी गई है। अगर किसी श्रमिक को नौकरी से निकाला जाता है, तो उसे एक उचित प्रक्रिया और कारण दिखाने की आवश्यकता होगी।
नौकरी से निष्कासन: श्रमिक को बिना किसी वैध कारण के निष्कासित नहीं किया जा सकता है। अगर किसी श्रमिक को निकाला जाता है, तो उसे फेयर वर्क कमीशन द्वारा निरीक्षण किया जाएगा। यदि निष्कासन अनुचित पाया गया, तो श्रमिक को पुनः नौकरी पर लिया जा सकता है, साथ ही उसे नुकसान का मुआवजा भी मिल सकता है।
ले-ऑफ और इन्कम सपोर्ट: यदि किसी श्रमिक को अस्थायी रूप से काम से बाहर किया जाता है, तो उसे मुआवजा देने के लिए सरकार की तरफ से योजना बनाई जाएगी। इसके तहत श्रमिकों को उन मुश्किल समयों में वित्तीय सहायता मिलेगी।
नए वर्किंग लॉ बिल के तहत, श्रमिकों को स्थिर और सुरक्षित रोजगार प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। अस्थायी नौकरी की स्थिति को स्थायी और सुरक्षित बनाने के लिए कई पहल की गई हैं। इस नीति का उद्देश्य श्रमिकों को काम में दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करना है।
अस्थायी श्रमिकों का संरक्षण: अस्थायी श्रमिकों को अब स्थायी श्रमिकों की तरह ही अधिकार मिलेंगे, जैसे कि वेतन, काम के घंटे और छुट्टियाँ। इस कदम से अस्थायी श्रमिकों को भी स्थिर रोजगार मिल सकेगा और उन्हें सुरक्षा का एहसास होगा।
नौकरी की शर्तों में सुधार: नियोक्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रमिकों के कार्य वातावरण और शर्तें स्पष्ट और न्यायसंगत हों। इस प्रक्रिया में न्यूनतम वेतन और अन्य लाभ भी शामिल होंगे।
नए वर्किंग लॉ बिल ने नियोक्ता और श्रमिकों के बीच संबंधों को भी संशोधित किया है। अब नियोक्ता को श्रमिकों के साथ अधिक पारदर्शिता और समझदारी के साथ काम करने की आवश्यकता होगी।
नियोक्ता की जिम्मेदारी: नियोक्ता को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अपने कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन न करें। इस संदर्भ में, यह सुनिश्चित किया गया है कि कर्मचारियों को उनका सही वेतन, स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखा जाए।
कर्मचारी प्रतिनिधित्व: श्रमिकों को अब अपने अधिकारों के बारे में अधिक प्रभावी तरीके से बातचीत करने की स्वतंत्रता होगी। यह एक श्रमिक संघ के रूप में हो सकता है, जो श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और उन्हें नियोक्ता से उचित मुआवजा प्राप्त करने में मदद करेगा।
श्रमिकों और नियोक्ता के बीच किसी भी प्रकार के विवादों के समाधान के लिए एक प्रभावी प्रणाली बनाई गई है। इसमें एक त्वरित और निष्पक्ष विवाद निवारण तंत्र की व्यवस्था की गई है, जिससे श्रमिकों को कानूनी प्रक्रिया से गुजरने में कठिनाई न हो।
ऑस्ट्रेलिया के नए वर्किंग लॉ बिल का उद्देश्य न केवल श्रमिकों के जीवन और उनके अधिकारों को सुरक्षित करना है, बल्कि कामकाजी वातावरण को अधिक पारदर्शी और सम्मानजनक बनाना भी है। यह बिल श्रमिकों को उनके कार्यस्थल पर बेहतर सुरक्षा, उचित वेतन, स्वास्थ्य और सुरक्षा की गारंटी देने के साथ-साथ उन्हें और उनके परिवारों को बेहतर जीवन की दिशा में एक कदम और बढ़ने का अवसर प्रदान करेगा।
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