भेदभाव जातिवाद सनातन की नही मुगलकाल की देन है, कितना जहर घोला तुमने सनातन धर्म में।
देखो.. महर्षी वाल्मीकि के आश्रम में माता सीता रहती है अपने बच्चो लव कुश को उनके गुरु चरणों में समर्पित करती है उनकी सेवा करती है...... महर्षि #वाल्मिकी लवकुश को शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा देते हैं, हर तरह से निपुण करते है...
महर्षी वाल्मिकी ने ही महाकाव्य रामायण लिखी, यदि महर्षि वाल्मिकी रामायण नहीं लिखते तो सनातनी हिन्दू राम व उनके जीवन को जान ही नही पाता........ महर्षी वाल्मीकि सम्पुर्ण सनातनियों के शीश मुकुट हैं जिन्होंने राम को हमें दिखाया।
सनातन में कभी भेदभाव छुआछुत जातिवाद नही था ये सब #मुगल इस्लामिक काल के घाव है, जो लगातार 800 वर्ष के इस्लामिक काल में ये घाव शरीर के अंग बन गए पर अब ये घाव धीरे धीरे भर रहे हैं...... जातिवाद, सतिप्रथा, छुआछूत, बाल विवाह, सहित बहुत से घाव दिये हैं.. 800 साल के इस्लामिक काल मे सनातन को खंडित और तहस नहस किया गया...... पर वामपंथी मिशनरी के षड्यंत्र आज भी मुगलों के पाप छुपा कर सनातन पर आरोप लगाते हैं।
महर्षि वाल्मीकि जी के चरणों में कोटि कोटि नमन जो उन्होंने #सनातन को रामायण देकर प्रभु श्रीराम के जीवन दर्शन कराए। बिना वाल्मीकि के राम कहां, और बिना राम के वाल्मीकि कहां...!!