हम सभी देवी देवताओ की इतनी भक्ति करते है...

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| Updated on December 24, 2022 | Astrology

हम सभी देवी देवताओ की इतनी भक्ति करते है,फिर भी दुखी क्यों है ?

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@kanchansharma3716 | Posted on June 21, 2018

नमस्कार जेस्सी जी, आपका सवाल वर्तमान समय में रहने वाले लोगो के लिए काफी अच्छा हैं ,जो लोग ऐसा सोचते हैं | हम सभी देवी देवताओ की इतनी भक्ति करते है ,फिर भी दुखी हैं | अक्सर हम यही सोचते है कि " हम दुखी क्यों हैं? " और " हमारे साथ ही ऐसा क्यों होता हैं ? " पर हम ये नहीं जानते कि दुनिया में और लोग भी रहते हैं,जो शायद हमसे भी ज्यादा तकलीफ में हैं ,और हम खुद से दुखी हैं ,भगवान् से नहीं |

ये बात सभी जानते हैं ,कि हम भगवान् को याद कब करते हैं |हम भगवान् को याद सिर्फ तब करते है जब हम दुखी होते हैं | तब नहीं करते जब हम खुश होते है या सुखी होते हैं | जब हम भगवान् को अपने दुःख में ही याद करते हैं,तो ये कहना तो साफ़-साफ़ गलत हैं कि "हम सभी देवी देवताओ की इतनी भक्ति करते है,फिर भी दुखी क्यों हैं " |

देखिये न जब हम उनको याद ही दुःख में करते हैं,तो हमारे दुःख कि वजह हम खुद हुए न कि भगवान् |

ये ज़िंदगी काफी मुश्किल चुनौतियों से भरी हुए हैं ,सिर्फ आपकी या मेरी नहीं सभी कि,और क्या आपने या कभी हमने ये सोचा हैं
कि भगवान ने सिर्फ हमे ही क्यों चुना परेशानियों के लिए, क्योकि भगवान् जनता है कि आप में क्षमता हैं | हर परेशानी झेलने कि ,एक आप ही हो जिसके साथ वो हमेशा रह सकता हैं,क्योकि तमाम दुखो के बावजूद भी आप परेशानियों से बाहर आ ही जाते हैं | इसलिए क्योकि भगवान हमेशा आपके साथ हैं | तो हमे जरूरत हैं कि हम सिर्फ भगवान कि आराधना करे वो भी निस्वार्थ भाव से |

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@vanshchopra5846 | Posted on April 26, 2018

देवी देवताओ की भक्ति करने से इंसान दुखी या सुखी नहीं होता | इंसान दुखी अपने कर्मो से होता है | भगवान् की पूजा अगर आप अपने दुःख को कम करने के लिए करते है तो ये गलत है | क्योकि ये तो आप अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए कर रहे है | और ऐसा कर के तो आपको कभी शांति नहीं मिल सकती | क्योकि हम पूजा इसलिए नहीं करते क्योकि हम दुखी है ,बल्कि इसलिए करते है क्योकि हम भगवान् को मानते है |

क्योकि कोई भी नास्तिक इंसान भगवान् को नहीं मानता और अगर आप भगवान् की पूजा करते है ,तो आप भगवान् को मानते है | भगवान् की पूजा करो अपने मन को शांत करने के लिए न की इसलिए की भगवान् हमे सुखी करे |
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@sweetysharma7577 | Posted on June 21, 2018

हम भक्ति करते हैं ,किसी और के लिए नहीं सिर्फ अपने लिए और अपने मतलब के लिए ,हमें सिर्फ़ अपने दुःख से दुःख होता हैं ,और अपनी ख़ुशी के ख़ुशी | हम भगवान् को सिर्फ़ तब याद करते हैं जब हमें मतलब होता हैं | बाकी समय हम अपने और कामों में व्यस्त रहते हैं | जब हम दुखी होतें हैं तब हीभगवान् को याद करते हैं ,और जब हमारे जीवन में ख़ुशी होती हैं,तब हम भगवान् को याद नहीं करते | हम सभी भगवान् कि भक्ति भी सिर्फ़ दिखावें के लिए करते हैं,और किसी चीज के लिए नहीं,और दिखावा करने से कोई इंसान खुश नहीं होता |
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@krishnapatel8792 | Posted on December 23, 2022

वर्तमान समय में लोग देवी देवताओं की इतनी अधिक पूजा करते हैं फिर भी लोग इतने दुखी हैं ऐसा क्यों होता है क्या आप जानते हैं यदि आप नहीं जानते हैं तो मैं आपको यहां पर बताऊंगी कि ऐसा क्यों होता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोग भगवान की पूजा तो करते हैं लेकिन सच्चे मन से नहीं करते हैं और भगवान के पास जाकर अपनी मनोकामना ओं की लिस्ट उनके सामने लाकर रख देते हैं और कहते हैं कि यदि मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी तो मैं आपको इतना चढ़ाव दूंगा या दूंगी इसलिए भगवान लोगों से खुश नहीं है और लोगों का जीवन दुखी है।Loading image...

 

और पढ़े-- चेत्र नवरात्रि के छठे दिन कौन सी देवी का पूजन होता है ,इससे क्या लाभ मिलता है ?

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@setukushwaha4049 | Posted on December 23, 2022

हम सभी देवी देवताओ की इतनी भक्ति करते है लेकिन फिर भी दुःखी क्यों रहते है, इसके पीछे कई कारण होते है क्योकि हम ज़ब सूखी रहते है तो भगवान की पूजा पाठ नहीं करते है और ज़ब हमारे जीवन मे दुखो का पहाड़ टूटने लगता है तो हम मंदिर जाकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाते है ऐसे मे भगवान भी सोचने लगते है कि इंसान मतलबी है इसी वजह से लोग इतनी भक्ति करने के बाद भी दुःखी है।Loading image...

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@preetipatel2612 | Posted on December 23, 2022

अक्सर व्यक्ति भगवान की इतनी पूजा पाठ करता है फिर भी वह दुखी रहता है। क्योंकि दुख हमारे जीवन के दो पहलू में से एक है। कभी व्यक्ति के जीवन में सुख आता है तो कभी दुख। इसमें व्यक्ति की किए गए कर्मों का ही फल मिलता है। लेकिन जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और लगन से भगवान की पूजा करता है उसे पुण्य अवश्य मिलता है। किंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी साधना शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करने लगते हैंं जिन्हें परमात्मा से कोई भी लाभ नहीं मिलता है।Loading image...
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