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दोस्तों , धर्म का मतलब बांधना होता है। अगर हम इसको परिभाषित करें तो मनुष्य और ईश्वर के बिच सम्बन्ध स्थापित करने ही धर्म कहलाता है। धर्म आस्था का प्रतिक माना जाता है। जो सभी मनुष्य के दिल में होती है, भले ही वह काम और ज्यादा हो। धर्म मनुष्य को मनुष्य होने का बोध कराता है। वह सही गलत में फर्क बताता है धर्म के नीति नियम मनुष्य को उसमें और जानवर में क्या अंतर है, बताता है, उसे मानवता सिखाता है। लेकिन इस धर्म को जो आगे बढ़ता है, उसे हम धर्मगुरु की संज्ञा देते है। आज हम अपने इस लेख में हिन्दू धर्मगुरु और मुस्लिम धर्मगुरु में अंतर जानेंगे।
सनातन या आर्य धर्म को हम सभी हिन्दू धर्म कहते है। हमारे हिन्दू धर्म में धर्म गुरुवों को बहुत ही महत्व दिया जाता है। लेकिन अगर कहा जाये कि धर्म गुरु कौन होता है। शायद इसके बारें में हम न बता पाए। इसलिए हम आज आपको धर्म गुरु के बारें में बताएंगे। धर्मगुरु वह होता है जो हमारे धर्म की रक्षा करें और उसका प्रचार - प्रसार करें। धर्मगुरु के पास धर्म होता ही नहीं सिर्फ साख होती है । दोस्तों आपको बता दें कि हिन्दू धर्म में कई धर्म गुरु है। जिनमें से आदि गुरु शंकराचार्य को सबसे बड़ा माना गया है। जिसके बाद गुरु गोरखनाथ का नाम सबसे बड़ा है। वर्तमान में आद्य गुरु शंकराचार्य, गुरु गोरखनाथ, वल्लभाचार्य, रामानंद, माधव, निम्बार्क, गौड़ीय, बासवन्ना, जम्भेश्वरजी पंवार, कबीरदास, रविदास और ज्ञानेश्वर की परंपरा के गुरुओं को ही सनातन हिंदू धर्म का धर्मगुरु माना जाता है।
वहीँ अगर मुस्लिम धर्म गुरुओं की बात करें तो , अभी तक उनके धर्म को आगे बढ़ाने वाला कोई धर्म गुरु पैदा ही नहीं हुआ है। इस्लाम धर्म के लोगों का कहना है कि हमारा केवल एक ही गुरु है वह है पैगम्बर मोहम्मद साहब। मुस्लिम धर्म के लोगों का मानना है कि , जो इसकी बातों को आगे बढ़ता है वही हमारा धर्म गुरु होता है। इस्लाम को समझना बहुत आसान बनाया गया फिर भी हर कोई इसकी सही समझ नही रखता इसलिए कोई गलती न हो जाये और हम कुछ गलत न कर बैठे तो ये ज़िम्मेदारी उलमाओं को सौप दी गयी है। उलेमा ही है जो थोड़ा बहुत अपने धर्म के लिए लड़ते है या फिर आगे बढ़ाते है।
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