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धर्मो रक्षति रक्षितः का पूर्ण श्लोक क्या...

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Anushka

| Updated on April 13, 2024 | news-current-topics

धर्मो रक्षति रक्षितः का पूर्ण श्लोक क्या हैं ? और इस श्लोक का क्या अर्थ है ?

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@komalsolanki9433 | Posted on February 7, 2024

संस्कृत में कई ऐसे श्लोक हैं जिन्हे हम सुनते आये है लेकिन वह अधूरे है यह कोई कोई जानता है।

हमारे वेदो और पुराणो मे ज्ञान का भंडार है।

श्री कृष्ण ने गीता में कई श्लोको का उच्चारण किया जिससे वह अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए है यह कहते है ।

उन्ही श्लोक मे से एक यह श्लोक भी था -

धर्मो रक्षति रक्षित: ।

लेकिन क्या आप सभी यह जानते है कि यह श्लोक अधूरा है। पुरा श्लोक यह है -

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षित: ।

। तस्मात धर्म न त्यजामि मा नो धर्मो हतोवधीत।

जिसका अर्थ है -

" जो मनुष्य धर्म का नाश कर देता है, धर्म भी उसका नाश कर देता है।

और जो सदैव धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है।

हमे कभी भी धर्म का त्याग नही करना चाहिए।

किसी को भी अपने धर्म को नही त्यागना चाहिए। क्या आप जानते है धर्म क्या है -

धर्म का मतलब हिंदू, मुस्लिम, सिख ,ईसाई नही है या अपने धर्म के भगवान की पूजा करना नही होता।

धर्म होता है - माता - पिता का धर्म - अपनी संतान को पाल पोस के उसे अच्छी शिक्षा देना, गुणों से भरना एक अच्छा इंसान बनाना यह उनका कर्तव्य है और यही उनका धर्म है।

अपनी जिम्मेदारी से हटना मतलब अपने धर्म का त्याग करना होता है।

उसी प्रकार भाई का धर्म, बहन का धर्म, बेटे का धर्म। सभी को अपने धर्म का पालन करना चाहिए और उस धर्म की रक्षा करना चाहिए।

धर्म पर चलने वाला व्यक्ति कभी गलत मार्ग पर नही चल सकता। वह सदैव धर्म की डोरियो मे बंधा रहता है। इसी वजह से धर्म भी उसकी रक्षा करता है और उसे कोई भी गलत कार्य करने से मना करता है और उसे सही मार्ग पर बनाये रखता है।

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@kirankushwaha3551 | Posted on April 12, 2024

दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे भारत देश में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं जैसे हिंदू धर्म, मुस्लिम धर्म,सिख धर्म, ईसाई धर्म, इत्यादि धर्म पाए जाते हैं और इन धर्म के लोगों का कर्तव्य होता है कि हम अपने धर्म की रक्षा करें इसी कारण से एक श्लोक बनाया गया धर्मो रक्षति रक्षिता लेकिन यह श्लोक अधूरा है चलिए हम आपको बताते है इस श्लोक को पूरा करके बताते हैं -

 

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षिता 

 तश्माद्धर्मो न हन्ताव्यों मा नो धर्मो हातोवधित।

 

 अब आपको का अर्थ बताते हैं कि इस श्लोक का अर्थ क्या होता है-

 इस श्लोक का अर्थ यह होता है कि जो लोग धर्म का त्याग कर देते अर्थात धर्म की रक्षा नहीं करते हैं या धर्म का नाश कर देते हैं,धर्म उसका भी त्याग कर देता है, नाश कर देता है तथा जो लोग धर्म की रक्षा करते हैं धर्म उसकी भी रक्षा करता है।

 इसलिए इसलिए धर्म का नष्ट कभी भी नहीं करना चाहिए,जिससे नष्टित धर्म हमारा नष्ट न कर पाए।

 इस श्लोक का कहने का मतलब यह हुआ की जिस धर्म के लिए जो धर्म बनाए गए हैं उसे धर्म के नियम का पालन करना चाहिए जो व्यक्ति उसे धर्म के नियम का पालन करता है धर्म उसका भला करता है और जो व्यक्ति उसे धर्म के बनाए गए नियम का पालन नहीं करता है धर्म उसका नष्ट कर देता है  इसलिए धर्म के बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए अगर आप धर्म के बनाए गए नियम का पालन नहीं करते हैं तो धर्म नष्ट हो जाता है और वही धर्म नष्ट आपको भी नष्ट कर सकता है।

 जो व्यक्ति धर्म के पथ पर चलता है वह हमेशा सुखी रहता है। धर्म पर चलने वाले व्यक्ति का हमेशा भला होता है। इसलिए हर व्यक्ति को धर्म के राह पर चलना चाहिए।

 

 

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