निजामुद्दीन केस क्या है, लॉक डाउन होने के बाद भी इतनी भीड़ कैसे जमा हुई, अब आप किसको इसका जिम्मेवार कहेंगे ? - letsdiskuss
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निजामुद्दीन केस क्या है, लॉक डाउन होने के बाद भी इतनी भीड़ कैसे जमा हुई, अब आप किसको इसका जिम्मेवार कहेंगे ?


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया


पहले जानते हैं क्या है तबलीगी जमात

तबलीगी का मतलब अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला होता है.वहीं जमात का मतलब होता है एक खास धार्मिक समूह,यानी धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं. मरकज का मतलब होता है बैठक या फिर इनके मिलने का केंद्र

क्या है तबलीगी जमात का इतिहास ...

दावा किया जाता है कि दुनिया का ऐसा कोई भी मुल्क नहीं है, जहां पर तबलीगी जमात की पहुंच न हो.हर साल भोपाल में लाखों की भीड़ के साथ जमात एक बड़ा इज़्तिमा भी करती है.साथ ही, बड़े स्तर पर मेवाल और महाराष्ट्र में भी जमात द्वारा आयोजित इज़्तिमा होते हैं. बताया जाता है कि कई लोगों ने मुगल काल में कुबूल लिया था, लेकिन इसके बावजूद वो हिंदू परंपरा और रीती-रिवाजों का पालन कर रहे थे. जब भारत में अंग्रेजों की हुकूमत आई, उसके बाद आर्य समाज ने इन लोगों को दोबारा हिंदू बनाने के लिए शुद्धिकरण अभियान शुरू किया.वहीं, मौलाना इलियास कांधलवी ने अपने धर्म के प्रसार-प्रचार के लिए इस्लाम की शिक्षा देने का काम शुरू किया. जिसके बाद दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मस्जिद साल 1926-27 में कांधलवी ने ही कुछ लोगों के साथ मिलकर तबलीगी जमात का गठन किया. जिसके जरिए उन्होंने मुसलमानों को अपने ही धर्म में बने रहने, इस्लाम का प्रचार-प्रसार और इससे जुड़ी जानकारी देनी लोगों को शुरू की.

दुनिया के 213 देश है जमात के संपर्क में....

जमात से जुड़े लोगों का दावा है कि जमात दुनिया के 213 मुल्कों में फैली है और इससे दुनियाभर के 15 करोड़ लोग जुड़े हैं. बिना सरकारी मदद के संगठन का संचालन करने का दावा करते हुए इन लोगों ने बताया कि जमात अपना अमीर (अध्यक्ष) चुनती है और लोग उसी की बात मानते हैं। कहा जाता है कि यह सुन्नी मुस्लिमों का संगठन है.


दिल्ली पुलिस भी है जांच के घेरे में....

मरकज से जुड़े मामले में साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा का कहना है कि हमने कार्यक्रम को रद्द और भीड़ न एकत्रित करने को लेकर मरकज को 23 मार्च और 28 मार्च को नोटिस दिया था ...डीसीपी का कहना है कि हमने उनसे आग्रह किया था कि इन दिनों कोरोना महामारी फैली है लिहाजा, कार्यक्रम को रद्द कर दिया जाए.लेकिन, नोटिस देने के बावजूद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. साथ ही लॉकडाउन के आदेशों का भी उल्लंघन किया गया.उन्होंने कहा कि अब इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस कार्रवाई करेगी.
यहां पर सवाल यह उठता है कि जब डीसीपी मीना को इस बात का पता था कि जमात में विदेशों से लोग आते हैं तो डीसीपी ने यह जानकारी उच्च स्तरीय पर क्यों नहीं दी. इस बात की सूचना ना ही गृह मंत्रालय को दी, ना ही दिल्ली सरकार को.. और बाद में मामले को तूल पकड़ता देख डीसीपी ने अपने बचाव के लिए यह कह दिया कि 23 मार्च और 28 मार्च को नोटिस हमने दिया था यानी कि इसमें कहीं ना कहीं डीसीपी की सबसे बड़ी लापरवाही उभर कर सामने आ रही है पुलिस वालो के रोज नए-नए वीडियो सामने आ रहे हैं जिसमें यह पुलिस वाले लोगों पर डंडे बरसाते नजर आते हैं तो क्या इतने लोगों की भीड़ दिल्ली पुलिस को नहीं दिखी अब यह भी जांच का विषय बना हुआ है. वह अलग बात है कि डीसीपी पर किसी तरह की आंच नहीं आएगी.


100 से ज्यादा लोगों के कोरोनावायरस के टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद निज़ामुद्दीन मरकज़ से सभी 2,100 लोगों को बाहर निकाला गया है. आज सुबह 4 बजे मरकज को खाली कराया गया. 2300 से ज्यादा लोग मरकज़ से निकाले गए. हालांकि, मरकज़ से जुड़े लोगों का दावा है कि अंदर महज़ 1000 लोग थे. निजामुद्दीन मरकज में रुके लोगों को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू की गई थी. दिल्ली पुलिस ने मरकज़ प्रशासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच करेगी.

इस पूरे मामले में अब आपको हिंदू और मुस्लिम की लड़ाई दिखाई देगी मगर यह सच नहीं है कहीं ना कहीं पूरे मामले में दिल्ली पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है मगर इस बात को मीडिया और सरकार हिंदू मुस्लिम का चक्रव्यूह बना देगी

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