महीने में 2 एकादशी आती है, जिसको ग्यारस भी कहते हैं | एकादशी हर महीने की 11 वीं तिथि होती है | महीने की हर ग्यारस का अपना एक महत्व होता है | आज आपको मोहिनी ग्यारस का महत्व बताते हैं | जैसा कि हर दिन का शुभारम्भ शुभ है या अशुभ ये हिन्दू धर्म में पंचाग पर निर्धारित होता है | वैसे ही मोहिनी एकादशी पंचाग की हिसाब से बहुत ही शुभ घड़ी मानी गई है |
मोहिनी एकादशी :-
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी , मोहिनी एकादशी कहलाती है | यह एकादशी इस बार 15 मई को आने वाली है | इस एकादशी की मान्यता यह कि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था | इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है | इसके व्रत को करने वाले लोग लोभ और मोह से मुक्त होते हैं |
Loading image... (Courtesy : Jansatta )
कैसे करें व्रत :-
- एकादशी के व्रत के लिए सुबह जल्दी जाग कर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए |
- इसके बाद धूप, दीप, तुलसी, अक्षत, कलश, नारियल और मेवे के साथ आप भगवान विष्णु का पूजन करें और साथ ही कथा पढ़ें |
- तुलसी पर जल अर्पित करें ,इसके बाद सूर्य देव का पूजन करें सूर्य देव को जल अर्पण करें और घी के दीपक से उनकी आरती करें |
- एकादशी का व्रत निर्जला किया जाता है, परन्तु जो लोग निर्जला व्रत नहीं कर सकते वो फलहार लेकर भी इस व्रत को पूरा कर सकते |
- एकादशी व्रत करने वालों को रात के समय सोना नहीं चाहिए, और शाम के समय तुलसी पर घी का दीपक जलाकर आरती करने चाहिए |
- एकादशी के दिन ब्राह्मण को भोज करवाना चाहिए और उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए |
- जो लोग व्रत नहीं कर सकते वो लोग इसकी कथा सुनकर भी इस व्रत का आधा लाभ पा सकते हैं |
Loading image... (Courtesy : PardaPhash )