जैन धर्म का प्रमुख ग्रंथ कौनसा है?

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| Updated on February 25, 2020 | Astrology

जैन धर्म का प्रमुख ग्रंथ कौनसा है?

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@princesen5202 | Posted on February 25, 2020

जैन साहित्य बहुत विशाल है। अधिकांश में वह धार्मिक साहित्य ही है। संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं में यह साहित्य लिखा गया है।

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भगवान महावीरस्वामी की प्रवृत्तियों का केंद्र मगध रहा है, इसलिये उन्होंने यहाँ की लोकभाषा अर्धमागधी में अपना उपदेश दिया जो उपलब्ध जैन आगमों में सुरक्षित है। ये आगम ४५ हैं और इन्हें श्वेतांबर जैन प्रमाण मानते हैं, दिगंबर जैन नहीं। दिंगबरों के अनुसार आगम साहित्य कालदोष से विच्छिन्न हो गया है। दिगंबर षट्खंडागम को स्वीकार करते हैं जो १२वें अंगदृष्टिवाद का अंश माना गया है। दिगंबरों के प्राचीन साहित्य की भाषा शौरसेनी है। आगे चलकर अपभ्रंश तथा अपभ्रंश की उत्तरकालीन लोक-भाषाओं में जैन पंडितों ने अपनी रचनाएँ लिखकर भाषा साहित्य को समृद्ध बनाया।


आदिकालीन साहित्य में जैन साहित्य के ग्रन्थ सर्वाधिक संख्या में और सबसे प्रमाणिक रूप में मिलते हैं। जैन रचनाकारों ने पुराण काव्य, चरित काव्य, कथा काव्य, रास काव्य आदि विविध प्रकार के ग्रंथ रचे। स्वयंभू , पुष्प दंत, आचार्य हेेमचंद्रजी, सोमप्रभ सूरीजीआदि मुख्य जैन कवि हैं। इन्होंने हिंदुओं में प्रचलित लोक कथाओं को भी अपनी रचनाओं का विषय बनाया और परंपरा से अलग उसकी परिणति अपने मतानुसार दिखाई।


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@dishasharma7111 | Posted on February 27, 2020

जैन धर्म अपने आप में बहुत विशाल आदर्श है जिसे एक ग्रंथ में जैन धर्म के मर्म को समेट पाना लगभग नामुमकिन है. प्रथमानुयोग ६३ शलाका पुरुषो की कथाएँ व पुराण. प्रमुख ग्रंथ पद्मपुराण, महापुराण, आदिपुराण और अन्य है.

लेकिन फिर भी यदि जैन धर्म के किसी एक ग्रंथ को सबसे प्रमुख कह सकते है तो वो निश्चित ही षटखण्डागम होगा जो जैन समुदाय के लिए बहुत प्रभावी है. जैन धर्म से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी आप यहाँ प् सकते है, जो सबसे खोजा जाता है. निश्चित आपको पसंद आएगा.


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