अर्णव गोस्वामी ने अपने प्राइम शो में पालघर में हुई संतों की भीड़ द्वारा पीटे जाने और उसके बाद मारे जाने को लेकर डिबेट चल रही थी. वैसे तो अरनव गोस्वामी अपने बड़बोले और अनाप शनाप बोलने के लिए जाने जाते हैं अर्नब गोस्वामी ने सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए थे.
एंटोनिया एडविजे अल्बिना मेनो यह नाम सोनिया गांधी का इटली में पूर्व नाम था.सोनिया गांधी का असल नाम एंटोनिया एडविजे अल्बिना मेनो था.लेकिन राजीव गांधी से विवाह करने के लिए इन्होंने अपना नाम बदल लिया था और अपना नाम सोनिया रखा था. तब से इन्हें सोनिया के नाम से ही पुकारा जाता है.
यहां पर मुद्दे की बात यह है कि गोस्वामी ने सोनिया गांधी का असली नाम क्यों लिया. वह ऐसा क्यों कर रहे थे जबकि एक एंकर को अपने पत्रकारिता की मर्यादा में रहकर अपना धर्म निभाना चाहिए. यह पूरा मुद्दे प्रायोजित तरीके से चलाया जा रहा है.अभी की बात की जाए तो बहुत सी संख्या में लोग अर्नब गोस्वामी की सपोर्ट में लगे हुए हैं और कुछ लोग अर्णब गोस्वामी को सांप्रदायिक तनाव फैलाने का दोषी मान रहे हैं. यहां पर इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि अर्नब गोस्वामी ने सोनिया गांधी का असली नाम इसलिए लिया क्योंकि वह देश में एक नई बहस बनाना चाहते थे एक तो वैसे ही क्रोना वायरस ने अपना काम तो किया ही हुआ है दूसरी तरफ अब अरनव गोस्वामी सोनिया गांधी को लेकर एक नई जंग छेड़ने का काम कर चुके हैं. आप अब देख रहे होंगे कि बीजेपी के नेताओं द्वारा कहना है कि जब बीजेपी को कांग्रेसी चायवाला, चौकीदार और हिटलर कहकर बुला सकते है तो क्या सोनिया को कोई उनका असली नाम लेकर नहीं बुला सकता है. यह मुद्दा पूर्ण रूप से राजनीति कर्म धारण कर चुका है ऐसे समय में ऐसी डिबेट इस पूरे मामले में कांग्रेसी बैकफुट में जाएगी. क्योंकि यह मुद्दा एक प्रायोजित मुद्दा है इसको पहले से ही पर आयोजित किया गया है और कांग्रेसी इस षड्यंत्र में फंसती जा रही है.
क्या कहा था अर्नब गोस्वामी ने
अर्णब ने अपने शो कहा था, "अगर किसी मौलवी या पादरी की इस तरह से हत्या हुई होती तो क्या मीडिया, सेक्युलर गैंग और राजनीतिक दल आज शांत होते? अगर पादरियों की हत्या होती तो क्या 'इटली वाली एंटोनियो मेनो' 'इटली वाली सोनिया गांधी' आज चुप रहतीं?
