ऐसा हिन्दू गोविन्ददेवजी के सबसे बड़े भक्त शूरवीर जिनहोने जगन्नाथ मंदिर पर आंख उठाने पर
पूरे उड़ीसा के इस्लामिक आक्रांताओ के सिर धड़ से अलग कर दिए ।
#पुराणों के अनुसार इस मंदिर को धरती का बैकुंठ माना गया है , हिन्दू धर्म मे मान्यता है, की भगवान श्रीकृष्ण यहां आज भी उपस्तिथ है । इस मंदिर की सबसे रोचक बात यह भी है, की इस मंदिर का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत लहराता है, इसके साथ ही इस मंदिर के सुदर्शन चक्र को आप कहीं से भी खड़े होकर देख सकते है । जो बात इस मंदिर को सबसे रहस्यमयी बनाती है, वह यह है, की इस मंदिर के मुख्य गुम्बद की छाया, कभी भी जमीन पर नही पड़ती, इस मंदिर के अंदर आप चले जाते है, तो बाहर की समुद्र की लहरों की आवाज आपको सुनाई नही देती । इस मंदिर में प्रसाद की भी कभी कमी नही होती, भारत का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसका ध्वज रोज बदला जाता है, मान्यता है, की अगर एक दिन भी मंदिर का ध्वज नही बदला गया, तो यह मंदिर खुद को 18 साल के लिए बंद कर लेगा ।।
इस मंदिर की पवित्रता और महत्व को आप इससे समझ सकते है, की कोई हवाई जहाज इस मंदिर के ऊपर से नही गुजरता, यहां तक कि पक्षी भी इस मंदिर के ऊपर से होकर नही उड़ते। ।
1590 ईस्वी के पास कुतलु खान के नेतृत्व में इस महान मंदीर को तोड़कर मस्जिद बनाने का कुत्सित प्रयास किया ज्ञात हो ।। जब आमेर के राजा मानसिंहजी कच्छवाह को इस खबर की सूचना मिली , तो उन्होने पठानो को समझाया, की इस मंदिर को तोड़ने का मत सोचो , वरना इसके बहुत ही गंभीर परिणाम तुम्हे भुगतने होंगे ।।
भगवान जगन्नाथ मानसिंहजी के रूप में खुद अपनी रक्षा को उपस्तीथ हो गए ।। क्यो की उस समय मात्र मानसिंहजी ही एकमात्र राजा थे, जो वैष्णव धर्म का पालन कर रहे थे, निरीह प्राणियों की हत्या तो दूर की बात है, वह लहसुन प्याज तक नही खाते थे।
ऐसे दिव्य पुरुष को देखकर भी पठान सुल्तान नही माना .... , मानसिंहजी ने साम दाम से बहुत समझाया पर वो भी कट्टर जिहादी था शेर शाह सूरी पठान का पूर्ण भारत का इस्लमिकरण का सपना उसके सर पर सवार था , श्री मान सिंह जी अहिंसावादी थे बात बात पर युद्ध उन्हे नागवारे थे,लेकिन अभी बात धर्म पर आन पडी थी , जिहादी पठान इस्लाम के नाम पर बेकसूर हिन्दूओ को बर्बरता पूर्वक छिन्न भिन्न कर रहे थे, चारो तरफ जिहादी पठानो का खूनी मंजर फेल रहा था गली गली गाय काटी जारही थी, तोह जब पानी सर से उपर चला गया कहा अगर मैने तलवार उठा ली, तो बड़ा अनर्थ हो जाएगा .... पठान नही माना ..
आगे इस युद्ध का वर्णन तो क्या किया जाए, पूरे उड़ीसा में एक भी जिहादी जिंदा नही छोड़ा गया, एक आध वही जिंदा बचे, जो उड़ीसा छोड़कर भाग गए ।। आज भी सबसे कम मुस्लिम आबादी उड़ीसा में ही है, मात्र 2%
जगन्नाथ मंदिर का #मुक्ति_मंडप आज भी मानसिंह की याद ताजा करता है
और जिहदियो के अन्त की वीरता का बखाण करता है ।
इस पूरे हमले को अकेले मानसिंहजी ने रौका था, एक भी अन्य राजपूत का सहयोग मानसिंहजी ने नही लिया । मानसिंहजी ने कश्मीर से लेकर , कैस्पियन सागर तक ( जिसमे ईरान, कज्जकिस्तान, अफगानिस्तान, कश्मीर, तुर्की, उज्बेकिस्तान , बलूचिस्तान ,आदि सभी क्षेत्र आ जाते है, जहां से कासिम से लेकर अल्लाउदीन खिलजी सब आये थे ) के प्रदेशो को कुचलकर रख दिया । उस समय यह सारा प्रदेश मात्र 5 रियासतों में बंटा था । इन्ही पांच रियासतों के झंडे उतारकर , मानसिंहजी ने भारत के गौरव की शान में इन पांच रियासतों के झंडे को मिलाकर जयपुर का " पंचरंगा ध्वज बनाया ।
इसमे दुखद हज़ारो राजपूतो को अपने प्राणों की आहुती भी देनी पडी।
इतना बड़ा काम करने वाला यह महापुरुष उस समय मात्र 30 साल का था ।।
अगर मानसिंहजी ने इस जिहादी हमले को असफल ना किया होता, तो सम्पूर्ण भारत का इस्लमीकरण लगभग तय था।
जय हो श्रीगोविन्देवजी भक्त महराजाधीराज मान सिंह जी कच्छावा जी री।
