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हमे डर क्यों लगता है?

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| Updated on March 23, 2022 | others

हमे डर क्यों लगता है?

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@setukushwaha4049 | Posted on March 20, 2022

इस दुनिया में डर जैसी कोई चीज होती ही नही है जो चीज़ इंसान दिमाग़ में बैठा लेता है वही उसका दिमाग मान लेता है।क्योंकि इंसान डर को अपने दिमाग में बैठा लेता और तब तक बैठाए रहता है जब तक उसका डर का भ्रम दिमाग से खत्म नही हो जाता है। कोई कोई तो रात के अंधेरो से डर जाता है तो किसी दिमाग़ मे यह ख्याल आता है कि भूत होते है उनके दिमाग़ मे भूत के होने का डर बैठ जाता है।

किसी को अकेले पन से डर लगता है तो किसी को रात से डर लगता है और डर का सबसे ज्यादा असर उसके दिमाग पर पड़ता है क्योंकि जितना इंसान सोचेगा उसे डर भी उतना ही लगेगा, कभी -कभी इंसान के दिमाग़ इतना डर बैठ जाता है कि इंसान अपने आप सोचने लगता है कि उसे कोई आवाज़ दे रहा है या फिर किसी से ने उसे आवाज़ दी है या फिर कभी कभी रातो में लगता है कि उसके सामने कोई खड़ा है लेकिन ऐसा कुछ नही होता है जैसे -जैसे इंसान इन सब बातों को अपने के दिमाग़ से निकाल देता है, तो उसका डर खत्म हो जाता है।

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@krishnapatel8792 | Posted on March 20, 2022

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताती है कि डर क्या होता है हकीकत बात तो यह होती है डर जैसे कोई चीज नहीं होती है दरअसल इंसान जिस भी चीज को लेकर अपने मन में डर को बैठा लेता है उसी चीज से उसे डर लगने लगती है जैसे कि किसी को अंधेरे में डर लगती है, किसी को अकेले कमरे में रहने से डर लगती है, तो किसी को भूतों से डर लगती है। डर का सीधा संबंध दिमाग से होता है इसलिए आप जितना सोचेंगे अंदर से आपको उतना ही डर लगेगा। इसलिए अपने दिमाग से डर जैसे शब्द को बाहर निकाल कर फेंक देने से डर का जेहन दिल और दिमाग से खत्म हो जाता है।Loading image...

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@rinkipandey9448 | Posted on March 22, 2022

डर एक तरह का मनोवैज्ञानिक रोग होता है। जब किसी चीज को लेकर आशंका मन में बनी रहती है तो यह डर का रूप ले लेती है। डर के समय मन में घबराहट उच्च रक्तचाप और पसीना आना शुरू हो जाता है। डर भले कुछ ना होता हो लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से यह एक बीमारी का रूप जब घर कर लेता है तो डरने वाले व्यक्ति को समझा पाना मुश्किल होता है। कुछ लोगों को मौत का डर होता है जिस कारण से वह इसी के बारे में सोचते रहते हैं और दुखी हो जाते हैं। भविष्य की चिंताओं को लेकर भी डर की स्थिति नकारात्मक सोच के कारण होती है। इसलिए डर को हल्के में नहीं लेना चाहिए बल्कि इसके कारण को समझदार इसका निवारण करना चाहिए और मनोवैज्ञानिक को दिखा कर उचित सलाह लेनी चाहिए।

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