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नोबल प्राइज एक ऐसा प्राइज है की जो दुनिया में हर किसीका सपना होता है। यह प्राइज भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र, चिकित्सा, शांति और साहित्य के लिए दिया जाता है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है की इन विषयो में गणित का नाम शामिल नहीं है। अल्फ्रेड नोबल की जो इस प्राइज के फाउंडर है उनकी चाह थी की ख़ास क्षेत्रो में प्राइज दिया जाए पर उनके मुताबिक़ गणित कोई ऐसा विषय नहीं की जो मानवता को एक कदम आगे की और ले जाए।
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इसका एकमात्र तथ्य यह है कि उन्होंने गणित के लिए बहुत अधिक परवाह नहीं की थी, और यह एक व्यावहारिक विज्ञान नहीं माना गया था, जिससे मानवता लाभान्वित हो सकती थी (नोबेल फाउंडेशन बनाने का मुख्य उद्देश्य)।
इसके अलावा, उस समय गणितज्ञों के लिए पहले से ही एक प्रसिद्ध स्कैंडिनेवियाई पुरस्कार मौजूद था। अगर नोबेल को इस पुरस्कार के बारे में पता था तो शायद वह अपनी इछापत्र में गणितज्ञों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक पुरस्कार जोड़ने के लिए कम मजबूर महसूस करते थे।
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स्वीडन और नॉर्वे के किंग ऑस्कर II खुद एक गणितज्ञ थे. इसके लिए उन्होंने एग्जिस्टिंग मैथ पुरस्कार की घोषणा की थी. उन्होंने गणित के क्षेत्र के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार की घोषणा की जा चुकी थी. जिसके बाद नोबेल को लगा कि अगर इस विषय पर पुरस्कार शुरू करूं तो यह पुराने का कॉपी माना जाएगा.
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