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यह घटना काफी पुरानी है शायद सन 1997 की जब मेरी बेटी की डेढ़ साल की थी तब मेरा पूरा परिवार एक शादी में शामिल होने जा रहे थे तभी सुबह 5:30 बजे की ट्रेन थी हमें रिजर्वेशन सीट नहीं मिली थी तभी हम स्लीपर डिब्बे में गए थे हमारी सीट साइड लोवर की थी और गर्मी का मौसम था। और जब अपनी सीट पर पहुंचे तो इसमें बहुत से लोग शांति पूर्ण सो रही थी तभी हमने जाकर अपनी सीट खाली करवाई लेकिन वे लोग हमारी सीट खाली नहीं कर रहे थे और लड़ाई झगड़ा करने लगे लेकिन वह मेरे बच्चों के लिए केवल मिडिल सीट देने के लिए तैयार थे लेकिन उस मिडिल सीट में मेरी पत्नी और बच्चे सब लोग नहीं डाल पाते और ऐसे में टीआई को ढूंढ़ पाना भी नामुमकिन था गर्मी का मौसम था इसलिए खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी इसलिए कोई भी सीट खाली करना नहीं चाहता था और मेरे शरीर से पसीना टपक रहा था और यह लोग सोच रहे थे कि मैं उनका अकेला क्या बिगाड़ लूंगा लेकिन वहां पर बल काम नहीं आता बुद्धि से काम लिया जाता है अभी मेरी बेटी तेज तेज से रोने लगी और सभी यात्रियों को जगा दिया तभी सभी लोग उठ कर मेरी मदद की है और मेरी सीट को खाली करवा दिए इस घटना को मैं अपने जीवन में कभी भी नहीं भूल पा रहा हूं
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