जय श्री राम !
हनुमान जी कों कलयुग का देवता कहा गया है क्योकि हनुमान जी चिरंजीवी है।
हनुमान जी को प्रसन्न करने का सुंदरकांड एक सरल माध्यम है। गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा रचित सुंदरकांड वाल्मीकि रामायण का एक अध्याय है। जिसमे हनुमान जी के द्वारा सीता माता की खोज करते हुए लंका जाने तक के अंशो का वर्णन किया गया है।
इसमे हनुमान जी के शक्ति, पराक्रम और शौर्य का विस्तृत वर्णन किया गया है।
सुंदरकांड का पाठ करने में 2 से 3 घंटे का समय लगत हैं। यदि मंजीरे और ढोल आदि से सुंदरकांड का पाठ किया जा रहा है तो इसमे 4 से 5 घंटे लग ही जाते है।
सुंदरकांड पाठ के नियम -
सुंदरकांड पाठ करने के कुछ नियम होते है जैसे - पाठ करने से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके पश्चात पाठ लगाए उसपर हनुमान जी चित्र रखे और शुद्ध घी का दीपक लगाए। भोग के लिए गुड - चना या किसी भी प्रकार की मिठाई रखे।
पाठ करते समय बीच बीच मे ना उठे, ना किसी से बात करे। पाठ के अंत मे हनुमान जी और राम जी को नमन करके उठे और आरती करने के बाद प्रसाद वितरण करे और पीपल के पत्तो की माला पास के हनुमान जी के मंदीर में जा कर हनुमान जी को चढाये।
सुंदरकांड का पाठ करने का नियम अपनी इच्छा अनुसार 11 , 21 , 31 और 41 दिनों का होता है।
सुंदरकांड पाठ के लाभ -
- सुंदरकांड का पाठ करने से मानसिक शांति का अनुभव होता है।
- जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए।
- सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति में सकारात्मकता का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है।
- व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और मनोबल शक्ति प्रबल होती हैं।
- गृह कलेश दूर होता है और परिवार मे खुशिया आती है।
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