भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेश जी सर्वप्रथम पूजनीय और प्राथनीय हैं। विकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता। अगर कोई उनकी पूजा के बगैर कार्य शुरु करता है। तो उसे किसी ना किसी प्रकार का विघ्न आते ही हैं। सभी धर्मों में गणेश की किसी ना किसी रूप में पूजा या आहान किया जाता है। गणेश जी की ऋद्धि ओर सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं। जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं।
सिद्धि से `सेम´ और ऋद्धि से `लाभ´ नाम के दो पुत्र हुए। लोक परंपरा में इन्हें ही शुभ -लाभ कहा जाता है।
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