हिन्दू धर्म में 108 अंक का बहुत ही महत्व है | 108 अंक को लेकर कई सारी बातें हैं, जो हमारे धर्म में 108 अंक को महत्वपूर्ण बनाती है | आइये आपको आज बतातें हैं, हिन्दू धर्म में 108 अंक का महत्व -
जाप की माला में 108 मोती के दाने क्यों होते हैं ?
हिन्दू धर्म में किसी भी भगवान के नाम का जाप 108 बार होता है | इसका एक कारण है - हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य के पास सिर्फ 24 घंटे होते हैं, जिनमें से 12 घंटे वह अपनी रोजाना की दिनचर्या में निकल देता है, और बचे हुए 12 घंटे में वह भगवान की आराधन करता है | 24 घंटे में एक इंसान 21,600 बार सांस लेता है | भगवान की आराधना करने के लिए उसके पास 12 घंटे होते हैं, जिनके आधार पर वह 10,800 बार सांस लेता है | इस 10,800 बार में से पल-पल ली जाने वाली सांस में वह मंत्र का जाप कर सकता है | अब इतने लंम्बे समय तक जाप संभव नहीं इसलिए आखिर के 2 शुन्य हटा दिए गए और 108 बार मन्त्रों का जाप किया जाने लगा |
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कुछ विशेष महत्व :-
- वृंदावन में भगवान कृष्णा की 108 गोपियाँ थी |
- आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में 108 मुख्य बिंदु है, जो जीवन शक्ति में ऊर्जा केंद्रित करते हैं |
- हिन्दू धर्म में 108 पुराण और उपनिषद हैं, जिसमें ज्ञान का भंडार है |
- भारतीय नाट्य शाश्त्र में 108 परिवर्तन कर्ण हैं |
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- भारत में 108 दिव्या देशम है, जो कि तीर्थ स्थानों का महत्वपूर्ण समूह माने जाते हैं |
- संस्कृत में 54 अक्षर हैं, जिनका पुर्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों में अर्थ अलग है | जिसके कारण 54*2 के आधार पर 108 अंक बन जाता है |
- समुद्र मंथन के समय भी 108 लोग ही थे 54 देवगण और 54 राक्षस गण |
यह कुछ विशेष बातें हैं, जिनके आधार पर हिन्दू धर्म में 108 अंक का महत्व अधिक है |
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