बड़ी कंपनियां भारतीय संस्कृति को कैसे खत्म कर रही हैं?
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student | पोस्ट किया
कंडोम
जब कंडोम लॉन्च किया था - तो परिवार नियोजन की दुहाई थी।
फिर aids का खौफ बनाकर safe sex with any and many partner की छूट सुनाई गयी।
फ्री सेक्स की मानसिक बीमारी युवक-युवतियों के दिमाग में जमकर ठूसी गयी।
फिर परिवार नियोजन की दवाई चॉकलेट, स्ट्राबेरी, मौसमी, संतरा, नींबू जैसे ना जाने कितने फ्लेवर में बाजार और TV के माध्यम से हमारे घर में पहुंच गयी।
"अब 25% extra डॉट्स के साथ enjoy करें", अश्लील आवाज़ में ये ज्ञान बाटते हुये भारतीय नारी की नयी पहचान सनी लियोनी type पोर्न एक्ट्रेस किसी भी वक्त, किसी भी शो के बीच आ धमकती है। सोचिये क्या सही में ये ***** adv.. हमें educate कर रहे हैं या गलत सोच inject कर रहे हैं।
पहले शिक्षा दी,फिर संस्कार बिगाड़े,फिर संस्कृति बर्बाद की,अब सभ्यता तबाह की तैयारी और सभी कामों के साथ साथ से पैसे भी जमकर कमाये।
सामाजिक अभियान कब और कैसे संस्कारी शैतान बन गया पता ही नहीं चला ?
चैनल विज्ञापन की कमाई में मस्त हैं, बुद्धिजीवी अपनी हिस्सेदारी लेकर सब कुछ सही बनाने की मुहिम में लग जाते हैं।
बर्बाद हमारा समाज हो रहा है।
हमें समस्या कंडोम की उपयोगिता के प्रचार से नहीं बल्कि उसके पीछे की फूहड़ता, बदनीयती और सांस्कृतिक हमले के tool के तौर पर इसके 'प्रचार-प्रसार" से है।
जय श्री राम
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student | पोस्ट किया
जितनी भी बड़ी कम्पनियां है उनका ऐड हिन्दू धर्म के विरूद्ध और लभ जिहाद बढाने का जरीया होति है