नरेंद्र मोदी वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री हैं और उनपर आय दिन इस तरह की चर्चाएं होना आम बात है । एक तरफ मोदी भक्त हैं जो मोदी की बुराइयां देखकर भी नजरअंदाज करते हैं, और दूसरी तरफ वह आम लोग हैं जो नकारात्मक प्रभावों से इतने अधिक प्रभावित हैं कि मोदी के बारे में अच्छा सोचने के लिए उनके पास समय नहीं हैं । मैं दूसरी श्रेणी का हिस्सा हूँ । मेरे लिए नरेंद्र मोदी भारत के उन प्रधानमंत्रियों में से हैं जिन्होंने अच्छे का नकाब पहनकर देश कि त्रासदी को न्योता दिया है ।
नरेंद्र मोदी ने ऐसे कितने ही भाषण दिए हैं जिन्हे हम प्रधानमंत्री के भाषण से ज्यादा फेंकू भाषण का नाम दे सकते हैं । मै उन्हें उनके भाषणों के आधार पर भ्रष्ट नहीं कहूंगी, मेरा उनके भाषणों के बारे में बात करने का एक ही मकसद है कि मोदी जो करते हैं या कहते हैं वो लोगो का दिल जीतने के लिए. उन्हें प्रसन्न करने के लिए अधिक होता है और देश हित के लिए कम नोटबंदी के समय मोदी जी ने बहुत ही अच्छा भाषण दिया था और देश से काला धन निकालने की बात की थी। परन्तु देश से काला धन निकलता उससे पहले मोदी खुद जापान की यात्रा पर निकल गए।
विपक्ष पर ऊँगली उठाने के लिए मोदी सबसे आगे रहते हैं लेकिन अपने देशवासियों को सहारा देने के लिए सबसे पीछे । मोदी ने अपने एक भाषण में कहा था कि मैंने देश के लिए अपना परिवार छोड़ा है बलिदान दिए हैं । कौनसा परिवार छोड़ा उन्होंने? क्या देश उनका परिवार नहीं है ? उन्होंने कौनसे बलिदान दिए हैं? देश के प्रधानमंत्री बनकर विदेशों की यात्राएं, विलासिता पूर्ण जीवन, किसी फ़िल्मी अभिनेता जैसी लोकप्रियता, क्या यह सभी बलिदान हैं ?
नरेंद्र मोदी के असफल कार्य :-
- भारत का रक्षा बजट एक बड़ी समस्या है, क्योंकि यह दो-मोर्चे के युद्ध के लिए देश की जरूरत और तैयारी के साथ तालमेल रखने में असमर्थ है।
- वित्त क्षेत्र में मोदी सरकार असफल रही है, जिसका सबसे बढ़ा उदाहरण GST और नोटबंदी है ।
- मेक इन इंडिया का अभी तक कोई सम्पूर्ण फल नहीं दिखा है क्योंकि यह भी पीड़ित प्रशासन से ग्रस्त है ।
- मोदी सरकार फ्रांसीसी डेसॉल्ट प्रौद्योगिकी की मदद से भारत में लड़ाकू हवाई-शिल्प के उत्पादन शुरू करने में असमर्थ रही है ।
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क (पेट्रोल पर 200% से अधिक और डीजल पर 400% से अधिक) में तेल की तुलना में महंगा होने के लिए, और अन्यायपूर्ण संवर्धन में इस क्रूर अभ्यास के माध्यम से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का संग्रह।
- नौकरियों की कमी और "मुद्रा ऋण" की विफलता
- कश्मीर में परिचालन में हमारी ताकतों और नागरिकों की मौत से असफल बीजेपी-पीडीपी गठबंधन और जवानो का बढ़ी संख्या में शहीद होना।
- देशवासियों की स्वास्थ समस्याओं को देखें तो मोदी सरकार इसमें अत्यधिक विफल रही है । डिजिटल इंडिया का नारा देने वाली मोदी सरकार ने स्वस्थ क्षेत्र को पूरी तरह नजरअंदाज किया है । अस्पतालों में मरीजों और डॉक्टरों की संख्या में जमीन आसमान का फर्क है।
- सरदार वल्लभभाई पटेल की महान प्रतिमा बनाने वाली मोदी सरकार अस्पतालों और स्कूलों की संख्या में वृद्धि के विषय में सोचती तो शायद देश का सचमुच भला हो सकता।
- मोदी राज में पिछले दो सालो में पत्रकारों पर 142 से अधिक हमले हुए हैं । भारत में प्रेस की अभिव्यक्ति पर तो हमेशा से ही प्रतिबन्ध लगाया जाता था परन्तु मोदी सरकार में मोदी के खिलाफ आवाज उठा रहे पत्रकारों पर हमले और न्यूज चैनलों को बंद करने की वारदातें अत्यधिक बढ़ी हैं।
- पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या भी पिछले ही वर्ष हुई थी और उसके साथ ही पिछले साल 7 पत्रकारों की दर्दनाक हत्या हुई थी । यह सभी मोदी सरकार के राज में होना कोई इत्तेफ़ाक़ नहीं हो सकता।
- मेरे लिए मोदी पूर्ण रूप से भ्रष्ट न सही परन्तु भ्रष्ट होने से कुछ काम भी नहीं हैं ।