fitness trainer at Gold Gym | पोस्ट किया |
Fashion expert,(Daizy Enterprises ) | पोस्ट किया
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Creative director | पोस्ट किया
यदि पहनावे की बात करें तो पहनावे तो बहुत से प्रकार के होते हैं परन्तु यदि हम विशेष रूप से साड़ी की बात करें तो या अधिक विवादस्पद होता है | भारत में अधिकतर लोगो का मानना साफ़ है की साडी जीन्स से बेहतर होती है क्योंकि यह हमारे "पूर्वजो" के अनुसार और भारतीय संस्कृति के अनुसार अच्छा पहनावा है | यदि जीन्स का चलन सतयुग या द्वापरयुग से चला होता तो शायद आज लोग जीन्स को भी भारतीय संस्कृति कहने से नहीं कतराते | जवाब साफ़ है, जो भारतीय नहीं है वह भारतीय संस्कृति नहीं है |
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Occupation | पोस्ट किया
लड़कियों के पहनावे से उन्हें जज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जरूरी नहीं होता है कि साड़ी पहनने वाली लड़की संस्कारी हो और जींस पहनने वाली लड़की चरित्रहींन हो, ऐसा बिल्कुल नहीं होता है, लोगो की सोच ही गलत होती है, लोगो को कपड़े देखकर जज नहीं करना चाहिए। क्योंकि जींस पहनने वाली भी लड़की के अंदर साड़ी पहनने वाली लड़की के अंदर उससे भी अच्छे विचार, अच्छे संस्कार, सबका आदर सम्मान करने वाली भी हो सकती है।वही साड़ी पहनने वाली लड़की घूँघट के अंदर अच्छी बनने का नाटक करते हुए घूम रही हो और दरअसल मे उसके अंदर वह आदर्श गुण हो ही ना, इसलिए हमें कभी भी लड़कियों के पहनावे से उन्हें जज नहीं किया जाता है।
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| पोस्ट किया
हमारे देश में अक्सर लड़कियों को उनके कपड़ों से जज किया जाता है। उसने क्या पहना है उसके ऊपर यह अच्छा नहीं लगता इस तरह के कपड़े नहीं पहनने चाहिए खासकर गांव के लोगों की सोच अभी भी बहुत पुरानी है अगर कोई लड़की जींस पहन कर चल देती है। तो उसे घूर घूर कर देखने लगते हैं और आपस में बातें करने लगते हैं यहां तक कि उनके माता-पिता से भी बोलते हैं कि आपकी लड़की कैसी है आपने इसी तरह के संस्कार दिए हैं उसे तो वह जींस पहन ली तो उन लोगों को उसके संस्कार दिखने लगे कि इस लड़की में संस्कार नहीं है वहीं अगर वही लड़की साड़ी पहनती तो लोग बोलते कि वह बहुत संस्कारी हैं। ऐसा नहीं होता कि उसके कपड़ों से उसके संस्कार का पता चले।
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