नमस्कर स्वीटी जी ,आपके सवाल का स्वागत हैं | बहुत अच्छा सवाल हैं आपका ,आप जानना चाहती हैं कि परमात्मा साकार हैं या निराकार ? तो आपको बता दें परमात्मा निसंदेह निराकार हैं | अब कैसे हैं ये निराकार हम आपको बतातें हैं -
वैसे तो निराकार शब्द ही खुद में अपने आप कि व्याख्या करता हैं | नीर + अकार अर्थात जिस चीज का कोई अकार नहीं वो निराकार होती हैं | और हम जानते हैं परमात्मा हैं ,क्योकि हम मानते हैं कि परमात्मा हैं ,परन्तु वो किस रूप के हैं ? किस अकार का हैं ? ये कोई नहीं जानता इसलिए परमात्मा निराकार हैं |
आप अपने वेद उठाकर देख लीजिये यह बात तो वेदों में शुरआत में ही कहीं गई हैं ,और यह भी कहा गया हैं की ईश्वर ने अपनी इच्छा से आकार धारण किया | यह बात बहुत महत्वपूर्ण हैं कि ईश्वर ने अपनी इच्छा से आकार धारण किया | परमात्मा निराकार रूप में सभी जगह हैं विद्द्मान हैं और सर्व व्यापक हैं , हर जीव में हैं ,हर पेड़ पौधे में उसकी जड़ में उसकी हर साख में विद्द्मान हैं | हर जगह परमात्मा मौजूद हैं ,तो बताइये वो निराकार ही हुए न |