कहते हैं, एक बार भगवान नाराज़ हो जाएं तो कोई बात नहीं, मगर पितृ नाराज़ हो जायें तो बहुत समस्या हो जाती है | जब हमारे पितृ हमसे नाराज़ हो जाते हैं, तो उस दोष को पितृ दोष कहा जाता है | पितृ दोष अक्सर तब लगता है, जब किसी के मरने के बाद उसके संस्कार करते समय कोई क्रिया पूरी न हो, तो उनकी आत्मा भटकती रहती है | किसी पर पितृ दोष है या नहीं ये उसकी कुंडली से समझ आता है | जिसका पूजन करना जरुरी होता है |
पितृ दोष के लक्षण :-
- जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें कई प्रकार से कष्ट उठाने पड़ते हैं |
जैसे - विवाह में विलम्ब होना , विवाहित जीवन में हमेशा समस्या होना , हर परीक्षा में बार-बार असफल होना, नशे का आदत होना , नौकरी न लगना और लगी हुई नौकरी छूट जाना, अधिक क्रोधित होना ऐसी कई समस्या का सामना करना पड़ता है |
पित्र दोष का निवारण :-
- पितृ दोष के निवारण के लिए सबसे पहले यह जरुरी है, कि आप अच्छे कर्म करें ताकि पितृ दोष होने की नौबत ही न आये |
- अगर आप अच्छे कर्म करते हैं तो आपके द्वारा किये गए अच्छे कर्म आपके पितरों की आत्मा को शांत करेंगे |
- अगर आपके पितरों ने कोई ग़लत काम किया जिसका दोष आप पर भी है, तो उसका पूजन जररु करवाएं जिससे आप और आपके पितृ दोनों इस दोष से मुक्त हो सके |
- अगर आप अपनी जीवनशैली में सुधार लाते हैं, तो आपकी संतान इस दोष से मुक्त रहेगी वरना पितृ दोष का असर पीढ़ियों तक चलता है |
- पितृ दोष के निवारण के लिए आप सूर्यग्रह और गुरुग्रह को मजबूत बनाएं | हर रविवार सूर्य देव और हर गुरुवार आप विष्णु जी का पूजन करें और साथ ही राहू और शनि की शांति के उपाय करे |