समय था नोटबंदी का! हर लोगों को नए नोट पाने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा था| क्योंकि पुराने नोट तो केवल एक कागज के टुकड़े के समान हो गए थे| उसी संघर्ष में जो संघर्ष मेरे परिवार ने किया उसकी कुछ घटना मैं आपके साथ सांझा करना चाहता हूं| मेरे पिताजी नोट बदलाने के लिए सुबह ही लाइन में लग जाते थे.परंतु जब नंबर आता था तब पता लगता था कि पैसे खत्म हो गए| दो-तीन दिन तो यह सिलसिला चलता रहा| पिताजी के काम का भी नुकसान हो रहा था.तो मेरे पिता ने मेरे भाई को नए नोट लेने के लिए लाइन में लगने को कहा.
मेरा भाई भी सुबह लाइन में लग जाता था और फिर वही कहानी नंबर आते ही पैसा खत्म हो जाता था| यह सिलसिला तो चलता रहा लेकिन अचानक ही घर में मुसीबत आ गई मेरी मां की तबीयत अचानक बिगड़ गई. मेरे पिता जी मां को लेकर अस्पताल गए | अस्पताल जाकर पता चलता है कि पुराने नोट नहीं चलेंगे आपको नए नोट ही देने पड़ेंगे| आनन फानन में मेरे पिताजी इधर उधर (परिचय) के लोगों से पैसे मांगते हैं. लेकिन पूरा प्रयास व्यर्थ जाता है मैं इस मंजर को देख भी नहीं पा रहा था इस दृश्य को देखकर मन ही मन में मुझे बहुत रोना आ रहा था| और मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था| मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि मेरे पिता जी लोगों के पास जाकर पैसे की मांग करें. यह समय नोटबंदी का मैं अपने जीवन में कभी भी नहीं भूलने वाला समय समझता हूं|
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