एक्स-रे में एक्स का क्या मतलब है?
@sameerkumar5283 | Posted on October 17, 2025
जब भी हमारे शरीर की कोई भी हड्डियां टूट जाती है तो हम उसे मरम्मत करवाने के लिए एक्स-रे करवाते हैं अक्षरा करवाने से हमें पता चल जाता है कि हमारे शरीर के किस हिस्से की हड्डियां टूट गई हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्स-रे में एक्स का मतलब क्या होता है शायद आपको इसकी जानकारी नहीं होगी तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं। दरअसल एक्स-रे की पीछे की कहानी थोड़ी लंबी है यह बात तब की है जब विहेल्म कॉनरोड, रॉन्टजेन द्वारा इन किरणों की खोज की गई थी तो उन्होंने एक्स-रे का नाम दिया क्योंकि उस समय उन्हें उस प्रकृति का नाम पता नहीं था जिस प्रकार गणित में जिस चीज की वैल्यू मालूम नहीं होती उसे एक्स से डाउनलोड किया जाता है यही वजह है एक्सरे में एक्स का मतलब।
Loading image...
Loading image...
जब भी हम एक्स-रे (X-Ray) का नाम सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में तुरंत डॉक्टर, अस्पताल और हड्डियों की तस्वीरें आ जाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस “एक्स” का मतलब क्या होता है? आखिर ये “एक्स” शब्द क्यों जोड़ा गया है?
चलिए, इस सवाल को थोड़ा गहराई से समझते हैं।
एक्स-रे की खोज कैसे हुई
कहानी 1895 की है। एक जर्मन वैज्ञानिक विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन (Wilhelm Conrad Roentgen) अपने प्रयोगशाला में कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube) पर प्रयोग कर रहे थे। ये एक ऐसी ट्यूब होती है जिसमें बिजली पास करने पर इलेक्ट्रॉन चलने लगते हैं और ट्यूब के अंदर चमक सी दिखाई देती है।
प्रयोग करते समय रॉन्टगन ने देखा कि जब ट्यूब के आसपास कुछ भी रखा जाता है, तो भी पास रखी एक फ्लोरोसेंट स्क्रीन चमकने लगती है, जबकि वह ट्यूब से ढकी हुई थी।
उन्हें यह देखकर हैरानी हुई कि कोई ऐसी किरणें हैं जो ठोस चीज़ों से होकर गुजर सकती हैं — और वे उन्हें दिखाई नहीं दे रही थीं।
‘एक्स’ नाम कैसे पड़ा
अब आता है असली सवाल — “एक्स” क्यों?
जब रॉन्टगन ने इन किरणों को खोजा, तो उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि ये कौन सी किरणें हैं या कैसे काम करती हैं।
विज्ञान में जब किसी चीज़ का नाम या पहचान पता नहीं होती, तो उसे ‘X’ अक्षर से दर्शाया जाता है — जैसे गणित में “X” एक अज्ञात मान (unknown value) के लिए इस्तेमाल होता है।
तो रॉन्टगन ने भी इन नई, रहस्यमयी किरणों को “X-rays” कहा, यानी “अज्ञात किरणें”।
बाद में जब इनके गुणों का पता चला, तो नाम तो वही रह गया, पर दुनिया भर में इन्हें “एक्स-रे” के नाम से ही जाना जाने लगा।
एक्स-रे वास्तव में क्या होती हैं?
एक्स-रे असल में एक प्रकार की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव (Electromagnetic Wave) होती है, जैसे कि रोशनी, रेडियो वेव या माइक्रोवेव।
फर्क बस इतना है कि एक्स-रे की तरंग दैर्ध्य (wavelength) बहुत छोटी होती है, जिससे वे पदार्थों में अंदर तक प्रवेश कर सकती हैं।
-
साधारण रोशनी किसी दीवार को पार नहीं कर सकती।
-
एक्स-रे, दीवार नहीं तो कम से कम हमारे शरीर के नरम ऊतकों (जैसे मांस, त्वचा) को पार कर सकती हैं, लेकिन हड्डियों से नहीं गुजर पातीं।
इसी वजह से जब एक्स-रे ली जाती है, तो हड्डियाँ सफेद दिखाई देती हैं और बाकी हिस्सा काला या धुंधला दिखता है।
एक्स-रे के उपयोग
रॉन्टगन की खोज आज पूरी दुनिया के लिए वरदान साबित हुई है।
यह सिर्फ मेडिकल फील्ड तक सीमित नहीं रही, बल्कि विज्ञान, इंजीनियरिंग और सुरक्षा के कई क्षेत्रों में काम आती है।
-
मेडिकल उपयोग:
हड्डी टूटने, फेफड़ों में इंफेक्शन, दाँत की स्थिति, या किसी विदेशी वस्तु का पता लगाने में एक्स-रे अहम भूमिका निभाती है। -
सुरक्षा जांच:
हवाई अड्डों पर बैग की जांच के लिए एक्स-रे मशीनें लगाई जाती हैं, जो अंदर के धातु या अन्य वस्तुओं को दिखा देती हैं। -
वैज्ञानिक शोध:
एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी नामक तकनीक के जरिए वैज्ञानिक अणुओं की संरचना (structure) तक देख सकते हैं।
रॉन्टगन को मिला सम्मान
एक्स-रे की खोज के लिए विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन को 1901 में पहला नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Physics) दिया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इस खोज का पेटेंट नहीं कराया, क्योंकि उनका मानना था कि यह पूरी मानवता के लिए है, किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं।
आज के दौर में एक्स-रे
तकनीक के इस युग में एक्स-रे और भी उन्नत रूप में हमारे सामने है —
डिजिटल एक्स-रे, सीटी स्कैन, और 3डी इमेजिंग जैसी तकनीकें अब बहुत साफ़ और सटीक तस्वीरें देती हैं।
इससे डॉक्टर बिना सर्जरी किए शरीर के अंदर की स्थिति जान पाते हैं।
निष्कर्ष
तो अब आप समझ गए होंगे कि “एक्स” का मतलब कोई रहस्यमयी या जादुई चीज़ नहीं, बल्कि ‘अज्ञात’ (Unknown) है।
जब रॉन्टगन ने इन किरणों की खोज की थी, तो उन्हें इनके बारे में कुछ नहीं पता था — इसलिए उन्होंने इन्हें “X-rays” कहा।
आज भले ही हमें इनके हर गुण का पता है, लेकिन वो “X” अब इतिहास का हिस्सा बन चुका है।
कभी-कभी अज्ञात चीजें ही दुनिया को नई दिशा दे देती हैं — और एक्स-रे इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।