नए साल आने के साथ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साथ में 2019 का दिल्ली चुनाव लड़ने की बात भी सुर्खिओ में है। सूत्रों की माने तो AAP के आला-कमान अरविन्द केजरीवाल का है यह प्रस्ताव। मगर देखने की बात तो यह है कि इससे दिल्ली की राजनीत में कितने तड़के लगते है।
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इस 'हाँथ और झाड़ू' की दोस्ती, जो दिल्ली से बीजेपी को साफ़ करने के लिए हुई, ने दोनों पार्टिओ के वरिष्ठ नेताओ को साफ़ कर डाला है, एक तरफ अजय माखन ने कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की पोस्ट से इस्तीफा दिया तो दूसरी ओर हरविंदर सिंह फूलका ने AAP का दामन छोड़ दिया। केजरीवाल आपने पार्टी को हमेशा साफ़ सूत्ररा बताते आएं है और कांग्रेस व बीजेपी को भ्रष्ट, अब इस तूतू-मेमे कि दोस्ती से दिल्ली के चुनाव में काफी नोक-झोक देखने को मिल सकती है। यही नहीं, अगर दिल्ली की जनता को यह दोस्ती रास नहीं आई तो बीजेपी को अच्छे से वोट मिलने के अनुमान है।
कांग्रेस और AAP की पहले भी गठबंधन की सरकार रह चुकी है जो महज़ 49 दिनों तक चली और यदि किसी तरह यह दोस्ती की सरकार बन भी जाती है तो यह कहना मुश्लिक होगा की दिल्ली को यह सरकार कितने समाये तक चला पायेगी।