मेजर ध्यानचंद हॉकी की दुनिया का एक बहुत बड़ा नाम है। उन्होंने जब भारत आजाद भी नहीं हुआ था तब भारतीय हॉकी का प्रतिनिधित्व करते हुए देश को स्वर्णपदक दिलाये थे। यह नाम एक ऐसी शख्सियत का है जिन्हे शायद खेल के अच्छे उपकरण नहीं मिले पर फिर भी उन्होंने अपने खेल हॉकी में इतनी महारत हांसिल की थी की जो किसी खिलाड़ी के लिए चरमसीमा बन जाती है। एक बार मेजर ने खेलते वक्त गोल के लिए शॉट मारा जो की पोल से टकराकर वापिस आ गया। उस वक्त मेजर ने रेफ़री को पोल की चौड़ाई कम होने की फ़रियाद की और सही में उस पोल की चौड़ाई कम निकली।
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मेजर ध्यानचंद आर्मी में एक सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे पर अपनी कार्यदक्षता से वो मेजर की पोस्ट तक पहुंचे थे। जर्मनी में जब हिटलर ने उन्हें जर्मनी की और से खेलने का आमंत्रण दीया तब उन्होंने बड़ी विनम्रता से उसे मना कर दिया। कई बार खेल के दौरान हरीफ़ टीम सिर्फ मेजर को ही टारगेट बना कर खेलती थी पर मेजर को रोक पाना उनके लिए मुश्किल होता था। जीवन के आख़री पलो में हॉकी की दुर्दशा से मेजर काफी अपसेट रहते थे।