इरशाद कामिल बॉलीवुड का एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने अपने करियर में कड़ी मेहनत के बाद खुद को बॉलीवुड में एक नामचीन गीतकार के रूप में उतारा हैं| जिन्होंने खुद को अपने काम से सभी के दिल में उतारा हैं| इरशाद कामिल ना केवल एक बेहतरीन गीतकार हैं, बल्कि सिनेमा जगत में उन्होंने कामयाबी का एक अच्छा मुकाम हासिल किया| इरशाद कामिल की खासियत रही हैं की उन्होंने हमेशा ही अपने गीतों में अपने संघर्षो की खानी को बया किया हैं |
(courtesy – starsunfolded)
इरशाद कामिल के बेहतरीन नज़्मे
- खुसरो की पहेली सी उलझी
ये उमर गुज़ारिश करती है
हर वक़्त मुझे समझाओ न
कुछ समझो भी...
एक लफ़्ज़
मैं जेब में रखके
तुमसे मिलने आता हूँ
उसे बोले बिन मैं ले जाता हूँ।
- कुछ रिश्तों का
नमक ही दूरी होता है
न मिलना भी
बहुत ज़रूरी होता है
आज उंगली कटी
याद की डोर से
खींचा फिर से किसी ने
तेरी ओर से।
- मेरे अंदर
बंजर-बंजर
तेरी प्यास
समंदर की
राही लौटे
पंछी लौटे
सूरज लौटा अपने देस
माये, कैसे लौटेगा वो
जिसके घर में है परदेस
- मेरी सोच
तुम झुंझलाना मुझ पर
और गुस्से में आकर
फाड़ देना उस ख़त को
जो तुमने अभी नहीं लिखा।
शहर की
तन्हाई से घबराई है
ये हवा
जो जंगलों से आयी है
ऐसे खूबसरत नज़्मों के साथ अपने जीवन का लम्बा सफर तय करते गए इरशाद कामिल और अपने लफ्ज़ो और शब्दों में अपने जीवन संघर्षो को गीतों में संजोते रहे |