आपकी पसंदीदा वीर रस की कविता कौन सी है?

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| Updated on February 28, 2022 | Education

आपकी पसंदीदा वीर रस की कविता कौन सी है?

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R

@rudrarajput7600 | Posted on April 20, 2020

जो सीने पर गोली खाने को आगे बढ़ जाते थे,
भारत माता की जय कह कर फ़ासीं पर जाते थे |
जिन बेटो ने धरती माता पर कुर्बानी दे डाली,
आजादी के हवन कुँड के लिये जवानी दे डाली !
वे देवो की लोकसभा के अँग बने बैठे होगे
वे सतरँगी इन्द्रधनुष के रँग बने बैठे होगे !
दूर गगन के तारे उनके नाम दिखाई देते है
उनके स्मारक चारो धाम दिखाई देते है !
जिनके कारण ये भारत आजाद दिखाई देता है
अमर तिरँगा उन बेटो की याद दिखाई देता है !
उनका नाम जुबा पर लो तो पलको को झपका लेना
उनको जब भी याद करो तो दो आँसू टपका लेना
उनको जब भी याद करो तो दो आँसू टपका लेना….
डा॰हरीओम पवार

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S

@setukushwaha4049 | Posted on February 27, 2022

हमारी पसंदीदा वीर रस की कविता है :-
आज हिमालय की चोटी से -


आज फिर हमने हिमालय की चोटी से ललकारा है,
दूर हट जाओ दुनिया वालो ऐ हिंदुस्तान हमारा है।
जहाँ पर हमारा ताज महल है,तथा क़ुतुब मीनार है,
जहाँ पर हमारे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वार है,
उस धरती पर तुम्हारा कदम बढ़ाना तुम्हारा अत्याचार है।
जाग उठो तुम सब आज तुम्हारी जंग है हिंदुस्तानियों,
हिंदुस्तानियों किसी समने जुकाना मत चाहे वह जापानी हो या चाहे जर्मन।
आज सभी हिंदुस्तानियों के लिए यही कौमी नारा,
दूर हट जाओ दुनिया वालो ऐ हिदुस्तान हमारा है।

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@krishnapatel8792 | Posted on February 28, 2022

वैसे तो वीर रस की सभी कविताएं सुनने में अच्छे लगते हैं लेकिन मुझे मैथिलीशरण गुप्त जी के द्वारा रचित कविता अर्जुन की प्रतिज्ञा सबसे अधिक पसंद है।

उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा,

मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा,

मुख - बाल - रवि - सम लाल होकर ज्वाला सा बोधित हुआ,

प्रलयार्थ उनके मिस वहां क्या काल ही क्रोधित हुआ?

युग - नेत्र के उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार- से,

अब रोस के मारे हुए, वे दहकते अंगार से,

निश्चय अरुणिमा - मित्त अनल की जल उठी वह ज्वाल सी,

तब तो द्रगों का जल गया सोकाश्रु जल तत्काल ही।Loading image...

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