आज कल बच्चे स्कूल , कोचिंग या खेल के मैदान में अक्सर बुलिंग ले शिकार होते हैं | बुलिंग का अर्थ है परेशान करना | जब स्कूल के सीनियर अपने जूनियर को परेशान करते हैं तो यह बुलिंग कहलाता है | कई बार तो बच्चे इतना परेशान करते हैं किसी एक को कि वह उसको मारते पीटते भी हैं | बुली हो रहा बच्चा अगर डर के कारण चुप रहता है वो किसी से कुछ कहता नहीं न ही अपने घर और न ही स्कूल के टीचर को तो बच्चा फिर परेशान रहने लगता है |अगर आपके बच्चे के व्यवहार में कुछ अंतर नज़र आए तो समझ जाए कि आपका बच्चा बुलिंग का शिकार हो रहा है |
बुली हो रहे बच्चों के व्यवहार में आने वाले कुछ अंतर :-
- सिर में दर्द बना रहना :-
जब आपका बच्चा स्कूल जाने के लिए सिर दर्द का या पेट दर्द का बहाना बनाए , या फिर उसको सच में अक्सर सिर दर्द की शिकायत रहे तो यह लक्षण बुली की तरफ इशारा करती है | बच्चे सिर्फ स्कूल न जाने का बहाना ही नहीं बनाते बल्कि उनको डर के कारण भी सिर में दर्द बना रहता है |
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- मार्क्स में कमी :-
अगर आपका बच्चा पढ़ाई में बहुत अच्छा है, और हमेशा अच्छे नंबर लाता है परन्तु कुछ समय से उनके नंबर अच्छे नहीं आ रहे तो इसका अर्थ है कि उसके साथ कुछ परेशानी जरूर है | जो बच्चे बुली होने से परेशान होते हैं वो अक्सर एंग्जाइटी का शिकार हो जाते हैं, इसके कारण वो पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाते और इसके कारण कई बचे डिप्रेशन में चले जाते हैं |
- खेलने में मन न लगना :-
अगर आपका बच्चा खेलने बाहर नहीं जाता, या वो बाहर जाने से भी डरता है तो इसका अर्थ है कि वह किसी बात से डरा हुआ है | ऐसे बच्चे अक्सर किसी से बात करने में भी डरते हैं , और उनका मन कहीं नहीं लगता वो सिर्फ घर में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं |
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- टिफिन का खाना वापस लाना :-
जो बच्चे बुली का शिकार होते हैं ऐसे बच्चे पहले तो स्कूल जाना पसंद ही नहीं करते और अगर वो माता-पिता के डर के कारण स्कूल चले भी जाते हैं तो ऐसे बच्चे अपना टिफिन बिना खाना खाए ही वापस ले आते हैं | घर में वो खाना नहीं खाते ऐसे बच्चों का मूड भी अक्सर बिगड़ा होता है |
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