बॉलीवुड की सबसे ख़ास बात यह हैं की जब भी हम फिल्मो की बात करते हैं तो हमे एक से एक बेहतरीन डायलॉग याद आ जाते हैं, जैसे गब्बर फिल्म का डायलॉग "ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर" शायद ही कोई बच्चा ऐसा हो जो ऐसे यादगार डायलॉग को नहीं जानता हो| किसी भी कलाकार के अभिनय की सही पहचान उसे तब ही मिल पाती हैं जब वह सही समय पर अपनी डायलॉग डिलीवरी दे, क्योंकि जब भी कोई फिल्म खत्म हो जाती हैं ततो दर्शको के जुबांन पर या तो उस फिल्म का गाना होता हैं या फिर उसके डायलॉग| सिनेमा के दौर में कई उतार चढ़ाव आएं और सिनेमा का समय बदलता गया, लेकिन किसी दर्शक को अभिनेता का चेहरा याद रहे या नहीं नपर सिनेमा के डायलॉग जरूर याद रह जाते हैं|
सिनेमा जगत को लोगो ने हमेशा अलग अलग नजरिया दिया हैं, जैसे कई बार फिल्म के डायलॉग कई लोगो के जीवन में असल में तकिया कलाम बन जाते हैं, और कई बार डायलॉगबाज़ी में इतना दम होता हैं की लोग उसे असल जीवन में सच मान कर आगे बढ़ते रहते हैं, अलग अलग रंगो से अलग अलग अंदाज़ से सिनेमा के डायलॉग ने दर्शको के सोचने का नजरिया बदला हैं|
आज हम आपको सिनेमा जगत के बेहतरीन डायलॉग से रु -बरु करवाते हैं
- फिल्म शोले से - "बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना|
- फिल्म धूम से - “बन्दे है हम उसके, हम पे किसका ज़ोर , उम्मीदों के सूरज निकले चारों और , इरादे है फौलादी , हिम्मती हर कदम अपने हाथों किस्मत लिखने, आज चले है हम”
- फिल्म शहंशाह' से - "रिश्ते तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह!"
- फिल्म एक विलन से - नफरत को नफरत नहीं सिर्फ प्यार मिटा सकता है , बस जरुरत है किसी हाथ की जो खींच कर उसे अंधेरों में से उजालों में ला सके।
- फिल्म आशिकी-2 से - तुम्हारे इश्क से बनी हूं मैं, पहले जिंदा थी, अब जी रही हूं मैं,
प्यार, मोहब्बत, आशिकी सिर्फ लफ्ज़ों के सिवा और कुछ नहीं, पर जब वो मिली, इन लफ्जों को मायने मिल गए|
- फिल्म रांझणा से - नमाज़ में वो थी पर ऐसा लगा दुआ हमारी कबूल हो गई|
- फिल्म डेढ़ इश्क़िया से - इश्क के सात मुकाम होते हैं, दिलकश, उन्स, मोहब्बत, अकीदत, इबादत और जुनून|