महाभारत के 6सबसे खतरनाक हथियार
आज हम दुनिया की सबसे महान लड़ाई महाभारत के बारे में बात करेंगे. जिसके बारे में आपने जरूर सुना होगा आपने कई तरह के हथियारों के बारे में सुना होगा जो पल भर में किसी भी राज्य या देश को तबाह कर सकते हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि महाभारत में इस से भी खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल हुआ था जिन्हें हमारी साइंस आज तक नहीं बना पाई है और ना ही समझ पाई है | महाभारत में जिन हथियारों का इस्तेमाल हुआ था वह इतने स्मार्ट थे कि अपने टारगेट को तबाह करने के बाद वापस भी आ जाते थे |
महाभारत को कई लोग सच नहीं मानते लेकिन अभी तक ऐसे कई सबूत हाथ लगे हैं जो बताते हैं कि महाभारत सच में हुआ था | आज हम आपको बताने वाले हैं महाभारत में इस्तेमाल हुए कुछ खतरनाक हथियारों के बारे में…
●ब्रह्मास्त्र
पुराणों में इसे बहुत ही खतरनाक हथियार माना गया है.
जिसे भगवान ब्रह्मा ने बनाया था |ब्रह्मास्त्र एक परमाणु हथियार था इसे देवीय हथियार भी कहा जाता है| ऐसा माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र है जो कोई भी इस को छोड़ता था वह इसे वापस बुलाने की क्षमता भी रखता था | यानी कि इसको इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति लक्ष्य को भेदने से पहले भी इसे वापस बुला सकता था लेकिन महाभारत में अश्वत्थामा को इसे वापस बुलाने का तरीका नहीं पता था जिसके कारण लाखों लोग मारे गए थे | महाभारत और रामायण में यह अस्त्र कुछ लोगों के पास ही था | ब्रह्मास्त्र की खास विशेषता है कि यह अपने दुश्मन का सर्वनाश करके ही छोड़ता है और इसका सामना दूसरे ब्रह्मास्त्र से ही किया जा सकता है बाकी कोई अस्त्र इसके सामने नहीं टिकता |
महर्षि वेदव्यास ने लिखा है कि जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है वहां 12 साल तक जीव - जंतु और पेड़ - पौधों की उत्पत्ति नहीं हो पाती | प्राचीन भारत में कहीं-कहीं ब्रह्मास्त्र के प्रयोग किए जाने के वर्णन मिलता है | रामायण में भी मेघनाथ से युद्ध करते समय लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा तब भगवान राम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया था कि अभी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे पूरी लंका नष्ट हो जाएगी |
●सुदर्शन चक्र
कहते हैं कि सुदर्शन चक्र एक ऐसा अस्त्र था इसे छोड़ने के बाद यह लक्ष्य का पीछा करता था और उसे तबाह कर देता था और वापस छोड़े गए स्थान पर यानी कि अपने मालिक के पास आ जाता था | इस हथियार को ब्रह्मांड का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है जो भगवान विष्णु के तर्जनी अंगुली में रहता है | शास्त्रों के मुताबिक इसका निर्माण भगवान शिव ने किया था | सुदर्शन चक्र को पाने के लिए भगवान विष्णु ने हजारों साल तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान मांगने को कहा तब भगवान विष्णु ने एक ऐसा खतरनाक हथियार मांगा जिसे ब्रह्मांड में मौजूद हर राक्षस को मारा जा सके | उसके बाद ही उन्हें सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ |
निर्माण के बाद भगवान शिव ने इसे श्री विष्णु को सौंप दिया था | जरूरत पड़ने पर भगवान विष्णु ने इसे देवी पार्वती को दे दिया | भगवान श्री कृष्ण के पास यह देवी पार्वती की कृपा से आया | एक दूसरी मान्यता के मुताबिक भगवान कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र परशुराम से मिला था |
●शिव त्रिशूल
त्रिशूल को हिंदू धर्म में आस्था का प्रतीक भी माना जाता है | यह भगवान शिव का अस्त्र है जब वे कहीं जाते हैं तो त्रिशूल को अपने पास ही रखते हैं. इस हथियार का इस्तेमाल महाभारत और रामायण दोनों काल में किया गया था | इस अस्त्र का इस्तेमाल करके भगवान शिव ने अपने पुत्र श्री गणेश का सर भी धड़ से अलग किया था. भाले की तरह दिखने वाले त्रिशूल में आगे की और तीन तेज धार वाले चाकू लगे होते हैं. आपने देखा होगा जहां कहीं भी शिवजी का मंदिर होता है वहां पर त्रिशूल अवश्य लगा होता है |
●वज्र
हम सभी जानते हैं कि महाभारत में पांडव और कौरव दोनों ही बहुत शक्तिशाली थे इसी कारण अर्जुन को मारने के लिए करण वज्र का उपयोग करना चाहता था इसके लिए करण एक चक्रव्यूह की रचना करता है जिसे वह अर्जुन को मार सके लेकिन उस चक्रव्यू ने अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु फस जाता है और वीरगति को प्राप्त होता है | बाद में जब सभी पांडव अभिमन्यु का अंतिम संस्कार कर रहे थे तो भगवान कृष्ण को पता चल जाता है कि कोरव रात में पांडवों पर हमला कर उन्हें मारने का षड्यंत्र रच रहे हैं इस बात को जानकर वह भीम से उसके पुत्र घटोत्कच को बुलाने को कहते हैं क्योंकि रात के समय राक्षसों की शक्ति बढ़ जाती है ऐसे में जब कौरव पांडवों पर हमला करते हैं तो घटोत्कच उन पर काल बनकर टूट पड़ता है और उनको जब अपनी हार होती दिखती है तो दुर्योधन घटोत्कच पर वज्र का इस्तेमाल करता है |
●पशुपतास्त्र
त्रिशूल की तरह ही पाशुपतास्त्र भी भगवान शिव का अस्त्र है . इस हथियार को बहुत ही विनाशकारी माना जाता है| कहां जाता है कि यह इतना घातक है की पूरी सृष्टि को नष्ट करने की क्षमता रखता है. यह दिखने में एक तीर की तरह होता है जिसको चलाने के लिए धनुष का प्रयोग किया जाता है. यह अस्त्र महाभारत में केवल अर्जुन के पास ही था | यह वह अस्त्र है जो मंत्रों से चलाए जाते हैं. यह दिव्यास्तर हैं. हर हथियार पर अलग-अलग देवी या देवता का अधिकार होता है | अर्जुन ने कभी भी इस हथियार का प्रयोग नहीं किया क्योंकि अगर वह ऐसा करते तो पूरी सृष्टि का नाश हो जाता |
●नारायणास्त्र
नारायणास्त्र भगवान विष्णु का एक प्रमुख हथियार है . यह अस्त्र भी पशुपतास्त्र के समान ही खतरनाक है इस अस्त्र को चलाने के बाद दुनिया में कोई भी शक्ति इसका सामना नहीं कर सकती. इसको रोकने का केवल एक ही उपाय है कि शत्रु अपने अस्त्र शस्त्र छोड़कर नम्रतापूर्वक इसके सामने सर झुका ले और अपना समर्पण कर दे | इस अस्त्र के सामने झुक जाने पर यह है नुकसान नहीं पहुंचाता है. महाभारत में अश्वत्थामा ने भीम पर नारायण अस्त्र का प्रयोग किया था. यह अस्त्र बहुत ही प्रचंड था इस अस्त्र में बहुत ज्यादा गर्मी होती है .धनुष से निकलने के बाद इस अस्त्र ने चारों और आग की बारि श कर दी जिससे लोग जलने लगे और बचने के लिए इधर-उधर भागने लगे | अश्वधामा द्वारा छोड़ा गया नारायणास्त्र भीम की ओर तेजी से चलने लगा लेकिन भीम भी हार मानने वालों में से नहीं थे वे भी इस अस्त्र का मुकाबला करना चाहते थे | जब भगवान कृष्ण ने यह सब देखा तो वह समझ गए की भीम इस अस्त्र को नहीं रोक पाएगा | श्री कृष्ण उसी वक्त अर्जुन का रथ छोड़कर भीम के पास पहुंचे और उन्हें सारे हथियार डाल कर नारायणास्त्र के सामने झुकने को कहा | भीम ऐसा किया तो नारायणास्त्र ठंडा हो गया और वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सका क्योंकि नारायणास्त्र उन्ही को चोट पहुंचाता है जो उनके सामने हथियार उठा कर इससे मुकाबला करते हैं | इस हथियार की एक खास बात है कि इसको केवल एक बार ही प्रयोग किया जा सकता है अगर दोबारा कोई इस अस्त्र का इस्तेमाल करता है तो उसकी अपनी ही सेना खत्म हो जाएगी।