कृष्ण ने सभी राजकुमारियों के साथ समान व्यवहार किया
सभी पत्निया भगवन कृष्णा से प्यार करती थी और उन्हें उत्तम आज्ञाकारी पति मानती। सभी पत्निया भगवन कृष्णा से अत्यंत प्रेम करती थी किन्तु भगवन कृष्णा में प्रेम की कोई भावना नहीं थी। वह उनसे प्रेम केवल अपने धर्म और कर्मा के लिए करते थे। क्योंकि भगवन परमात्मा है वह प्रेम , क्रोध या ऐसी कोई भी गुण से परे है। किसी से भी उन्हें अति प्रेम या अति घृणा नहीं है
प्रतिबंधों के साथ वैदिक संस्कृति में बहुविवाह की अनुमति दी गई थी
वैदिक सिद्धांतो के अनुसार बहुविवाह यानि की एक से ज्यादा विवाह की अनुमति उस व्यक्ति को है जो अपने सभी पत्नियों को एक सामान प्यार, इज़्ज़त और समय दे। यानि की कोई भी व्यक्ति बहुत सारी स्त्रियों से विवाह कर सकता है किंतु यह शर्त है की वह सभी की इच्छाओं का कदर करे , आदर करे और सभी को एक सामान मानकर एक उत्तम पति की तरह संतुष्ट करे। भगवन कृष्णा ऐसे ही पति थे जिन्होंने सभी सिद्धांतो , नियमो और रिवाज़ो का पालन किया जो एक सभ्य वैदिक समाज ने बनाया था।