नमस्कार राकेश जी,बहुत अच्छा सवाल है आपका ,और सच भी है कि हम लोग समाज में हो रही हर समस्या को छोटा समझ लेते है | क्योकि वो समस्या हमारी नहीं है ,अगर हमारी हुए तभी हम परेशान होते है | ये मानव स्वाभाव है |
वर्तमान में लोगो के पास इतना समय ही नहीं कि वो सामाजिक परेशानियाँ देख सके | सब व्यस्त है अपने जीवन में और अगर कही कुछ होता है तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता | और तब तक नहीं पड़ता जब तक ऐसा कुछ उनके साथ न हो जाए | इसलिए सभी को लगता है कि समस्या छोटी है क्योकि ये किसी और के साथ हुए है |
मान लीजिये किसी के घर चोरी हो गई तो किसी को क्या फर्क क्योकि औरो के घर हुए हमारा क्या | लोग इतना व्यस्त है कि उनको कोई गलती सामने होती हुए भी नज़र आती है तो अगर उस बात का फर्क उनकी अपनी ज़िंदगी से नहीं तो उन्हें कोई मतलब नहीं होता | क्योकि न वो घटना उनके साथ हुई है न ही उनके किसी अपने के साथ |
कोई भी समस्या छोटी और बड़ी नहीं होती ,समस्या बस समस्या होती है ,जो कि इंसान को हमेशा एक सबक ही दे जाती है कि "कोई भी गलती होते देख कर पहले ही आवाज उठा दिया होता तो शायद आज वो गलती गुनाह नहीं बन गई होती " किसी भी इंसान के लिए कोई भी गलती तब तक छोटी होती है जब तक उस इंसान को इससे कोई नुकसान न हो बस यही सबसे बड़ी कमी है मानव स्वभाव की |