जीवन में सफलता को पाना कठिन नहीं है बशर्ते आप उसकी कीमत देने को तैयार हो. अक्सर जिंदगी से हम पाना तो बहुत कुछ चाहते है पर बदले में जिंदगी को देने में कमी कर देते है. लोग असफल इसलिए होते है क्योकि लोगो के पास स्पष्ट विज़न नहीं है और अगर है भी तो वे अपने विज़न के प्रति स्पष्टता नहीं है, जो उनके असफल होने का सबसे बड़ा कारण बनती है. आधी जंग इंसान जब जीत जाता है जब वह अपने उद्देश्य अपने विज़न को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट है एकाग्र है जिसका उदहारण अर्जुन का तोते की आँख को देखना है.
लोग किसी भी चीज़ को बहुत जल्दी पाना चाहते है उनमे धैर्य की कमी है जरा सी रुकावट परेशानी आने पर वो घबरा जाते है.
लोग इस मामले में भी स्पष्ट नहीं है की वह सफलता का अर्थ अपने जीवन में क्या समझते है अक्सर लोग सफलता को पैसे पोजीशन रुतबा समाज में उनकी पहचान आदि बातो सफलता को के रूप में देखते है.
अधिकतर लोग दुसरो को देखकर वैसा बनना चाहते है पर आप क्या हो ? क्यों हो ? किस लिए हो ? इस पर कभी काम नहीं करते. लोग बाहर जो हो रहा है उसे देखकर उसकी तरफ भागे जा रहे है पर यदि उनमे से किसी को रोकर जरा ये पूछे की "तुम क्यों" भाग रहे हो तो शायद इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर देना उसे मुश्किल होगा
सफलता बाहर की वस्तु नहीं है इसकी शुरुआत शुरुआत अंदर से होती है. "जंग के मैदान में हारने, गिरने वाले के पास एक मौका और होता है दोबारा उठ खड़े होने का, और फिर से लड़ने का और जितने का..पर जो मन से हर गया हो वो कभी जीत नहीं सकता."