पत्तल में खाने के क्या लाभ है ? - letsdiskuss
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himanshu Singh

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पत्तल में खाने के क्या लाभ है ?


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आप लोगों को लग रहा होगा की पत्तल मे खाना खाना सिर्फ परंपरा है लेकिन मैं आपको बता दूं कि यदि आप पत्तल में खाना खाते हैं तो आपकी सेहत को कई सारे लाभ मिलते हैं। तो चलिए जानते हैं की पत्तल मे खाना खाने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं।

पत्तल में खाना खाने से मिलते हैं इतने सारे लाभ जिसकी आपको जानकारी भी नहीं होगी:-

कमल के पत्ते में खाना खाने के फायदे:-

कमल के पत्ते पर खाना खाना सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आप कमल के पत्तों में खाना खाते हैं तो हार्टबीट कंट्रोल में रहती है, ब्लड सर्कुलेशन बैलेंस रहता है।

कटहल के पेट में खाना खाने के फायदे:-

मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि कटहल के पेट में भी खाना खाने से हमारे शरीर को कई सारे लाभ मिलते हैं। क्योंकि कटहल के पत्ते में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा मौजूद होती है। यही वजह है कि इस पर खाना खाने से इसमें मौजूद एंटी कैंसर तत्व बॉडी में इंटर करते हैं। यह एंटी कैंसर तत्व बॉडी में कैंसर के सेल्स को बढ़ाने से रोकते हैं। इसके अलावा यदि आप कटहल के पेट में खाना खाते हैं तो हार्ट डिजीज से बचाव किया जा सकता है।

केले के पत्ते में खाना खाने से मिलने वाले लाभ:-

बताया जाता है कि केले के पत्ते पर भी खाना खाने से बहुत से फायदे मिलते हैं यदि आप केले के पत्ते में भोजन करते हैं तो आपको फोड़े फुंसी की बीमारियों से बचाव मिल सकता है, पेट से संबंधित बीमारियों से छुटकारा मिलता है जैसे की कब्ज, गैस और अपच की समस्या से। क्योंकि केले के पत्ते में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। जो कि इन सभी समस्याओं से बचाने में आपकी मदद करते हैं।

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पुराने समय में जब भी कोई मंगल कार्य होता था तो पत्तल में खाना खाने के लिए दिया जाता था। पत्तल का मतलब होता है पत्तों से बनी हुई प्लेट क्योंकि पत्तल में खाना खाने से सेहत को कई सारे लाभ मिलते हैं।

पत्तल में खाना खाने के फायदे :-

अगर किसी भी व्यक्ति को लकवा, बवासीर, पाचन संबंधी कोई भी बीमारी की समस्या हो तो पत्तल में खाना खाने से रोग को ठीक करने में मदद मिलती है और यदि जोड़ों में दर्द होता है तो पत्तल में खाना खाने से आराम मिलता है।

पत्थर में खाना खाने से ना सिर्फ पैसों की बचत होती है बल्कि पानी की बचत होती है क्योंकि पत्तल में खाने के बाद इसे खेतों में जला देते हैं जो खेतों में खाद का काम करता है।Letsdiskuss


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पत्तल यानी पत्तों से बनी हुई प्लेट जिस पर आप खाना खा सकते हैं। पुराने समय से ही मंगल कार्यों और विवाह आदि में पत्तल में खाना खाने व खिलाने की परंपरा चली आती रही है। पर अब वक्त के साथ-साथ यह चलन कम हो गया है। पत्तल पर खाना न केवल सुविधा की दृष्टि से लाभप्रद है बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि पत्तल में खाने से क्या लाभ होते हैं।

पत्तल पर खाना, लकवा बवासीर एवं पाचन संबंधी रोगों से बचाने में सहायक है एवं इस समस्याओं में काफी लाभदायक भी है। इसके अलावा जोड़ों के दर्द की समस्या भी इससे कम होती है। पत्तल पर खाने की आदत न केवल पैसों की बचत करेगी, बल्कि पानी भी बचाएगी क्योंकि आपको इसे धोने की जरूरत नहीं होगी और इन्हें जमीन में डालकर खाद बनाई जा सकती है। पत्तल पर खाना खाने से आपको भोजन के साथ ही संबंधित वृक्षों के औषधि गुण भी प्राप्त होते हैं। और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

पलाश के पत्तों की थाली पत्तलो में खाना खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। कृमि, कफ, खांसी, अपच व पेट संबंधी व रक्त संबंधी अन्य बीमारियां होने की संभावना कम होती हैं। बेहतर सेहत और उससे जुड़े कई फायदा के लिए केले के पत्ते पर भोजन करना लाभकारी माना जाता है। यही कारण है कि दक्षिण भारत में आज भी ज्यादातर स्थानों पर केले के पत्ते पर खाना परोसा जाता है। अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जाएंगे जिससे कि अधिक ऑक्सीजन भी मिलेगी। केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन मैं भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है। अब हम आपको तो बात ही दिए हैं की पत्तल में खाना कितना फायदेमंद होता है।

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आइए, पत्तलों की परंपरा फिर से पुनर्जीवित करते हैं...

पत्तल में भोजन के अद्भुत लाभ

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय मे पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या मे करते है।

  • आम तौर पर केले की पत्तियो मे खाना परोसा जाता है। प्राचीन ग्रंथों मे केले की पत्तियो पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है। आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियों का यह प्रयोग होने लगा है।
  • सुपारी के पत्तों से बनाई गई प्लेट, कटोरी व ट्रे हैं , जिनमे भोजन करना स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है
  • जिसे प्लास्टिक, थर्माकोल के ऑप्शन में उतरा गया है क्योंकि थर्माकोल व प्लास्टिक के उपयोग से स्वास्थ्य को बहुत हानि भी पहुँच रही है ।
  • सुपारी के पत्तों का पत्तल केरला में बनाई जा रही हैं और कीमत भी ज्यादा नही है , तक़रीबन 1.5, 2, रुपये साइज और क्वांटिटी के हिसाब से अलग अलग है
  • पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है ।
  • केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है।
  • रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है। आम तौर पर लाल फूलो वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है। इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासिर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है।
  • जोडो के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है। पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है।
  • लकवा (पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलो को उपयोगी माना जाता है।
पत्तलों से अन्य लाभ :
1. सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है।
2. न पानी नष्ट होगा।
3. न ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा।
4. न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे l
5. न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी।
6. अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी।
7. प्रदूषण भी घटेगा।
8. सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है, एवं मिटटी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
9. पत्तल बनाने वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा।
10. सबसे मुख्य लाभ, आप नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा सकते हैं, जैसे कि आप जानते ही हैं कि जो पानी आप बर्तन धोने में उपयोग कर रहे हो, वो केमिकल वाला पानी, पहले नाले में जायेगा, फिर आगे जाकर नदियों में ही छोड़ दिया जायेगा। जो जल प्रदूषण में आपको सहयोगी बनाता है।

आजकल हर जगह भंडारे, विवाह शादियों , birthday पार्टियों में डिस्पोजल की जगह इन पत्तलों का प्रचलन करना चाहिए।
जय श्री राम

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